सनातन धर्म में भगवान की पूजा करते समय भगवान को नेवैद्य यानी भोग (भगवान का भोग) चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। भक्त अपने देवता को मनचाहा भोग लगाकर भगवान को प्रसन्न करते हैं। विशेष रूप से तीज-त्योहारों और घर में होने वाले शुभ कार्यक्रमों में भगवान को विशेष पकवानों का भोग लगाया जाता है। लेकिन बहुत से लोग भोग लगाने के महत्व और उसके नियमों को पूरी तरह से नहीं जानते हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि भगवान को भोग लगाने के सही नियम क्या हैं। माना जाता है कि इन नियमों (प्रसाद चढ़ाने के नियम) का पालन करने से ही आपका भोग स्वीकार्य स्थिति में आएगा और भगवान प्रसन्न होंगे। कई बार अनजाने में भोग लगाते समय ऐसी गलतियां हो जाती हैं कि भोग का फल व्यर्थ चला जाता है।
घर में देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही भोग लगाने का भी विधान है। कई लोग तीज-त्योहारों में भगवान को तरह-तरह के भोग लगाते हैं। माना जाता है कि भगवान की पूजा करते समय भोग जरूर चढ़ाना चाहिए तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। लेकिन कई बार वे भोग लगाते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं जिससे भगवान नाराज हो जाते हैं। जानिए भगवान को भोग लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
भगवान को भोग लगाना तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान को भोग क्यों लगाना चाहिए? अगर नहीं तो आज हम आपको हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी चिराग बेजान दारूवाला द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इस बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है भगवान को भोग लगाने के पीछे का कारण?
भगवान को शुद्ध और उचित भोजन परोसना (भगवान की मूर्ति रखने के वास्तु नियम) उनकी पूजा करने का एक रूप है। भगवान की मर्यादा के अनुसार उन्हें भोग लगाया जाता है और उनके भोग में अपवित्र भोजन के लिए कोई स्थान नहीं होता है। हम शुद्ध भोजन करते हैं, इसलिए भगवान को भोग लगाया जाता है। हालांकि भाव से भगवान को भोग लगाने का कारण पहले आता है, बाद में हमारे शुद्ध भोजन करने का तर्क आता है। बता दें कि भगवान को भोग लगाने के पीछे का कारण सिर्फ धार्मिक ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे का तर्क आयुर्वेद और वास्तु शास्त्र पर भी आधारित है। आयुर्वेद के अनुसार भगवान के लिए भोजन बनाते समय मन में सामंजस्य होता है।
यह सद्भाव व्यक्ति को भीतर से खुश रखता है और उसके मन के तनाव को दूर करता है। भगवान के लिए बने भोजन में प्रेम होता है। इस कारण व्यक्ति को प्रसन्नता का अनुभव होता है और मानसिक रोग का प्रभाव कम होने लगता है।
क्या कहता है वास्तु?
वास्तु शास्त्र के अनुसार बात करें तो भगवान को भोग लगाने के बाद भोजन करने से अन्न दोष दूर होता है। अर्थात् अन्न के व्यय के कारण जो भी अन्न दोष उत्पन्न होता है, अन्न भण्डार के गलत स्थान पर होने के कारण मां अन्नपूर्णा का चित्र (माँ अन्नपूर्णा का चित्र लगाने के नियम) गलत स्थान पर लग जाता है आदि।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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