Wednesday, December 25, 2024
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Akhada Mahakumbh 2025: क्या है अखाड़ा, क्या थी इन्हें बनाने के पीछे की वजह? जानें विस्तार से

Akhada Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले के दौरान सबसे पहले नागा साधुओं के अखाड़े स्नान करते हैं। अखाड़ा क्या है, और इन्हें बनाने के पीछे की वजह क्या थी, इस के बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Dec 24, 2024 12:42 IST, Updated : Dec 24, 2024 12:42 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INDIA TV महाकुंभ 2025

Akhada Mahakumbh 2025: साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है। कुंभ मेले को सबसे बड़े धार्मिक मेले के रूप में विश्व भर में जाना जाता है। इस मेले में न केवल भारत के बल्कि दुनिया भर के हिंदू श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं, साथ ही अन्य धर्मों के अनुयायी भी इस मेले की रौनक को देखने आते हैं। 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ मेले की शुरूआत हो जाएगी और 26 फरवरी को अंतिम शाही स्नान किया जाएगा। आपको बता दें कि, शाही स्नान सबसे पहले नागा साधुओं के अखाड़ों के द्वारा ही किया जाता है। उसके बाद अन्य भक्त डुबकी लगाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, आखिर अखाड़ा है क्या और इन्हें बनाने के पीछे की वजह क्या थी? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। 

क्या है अखाड़ा?

साधु संतों के बेड़े या समूह को अखाड़ा कहा जाता है। हालांकि यह शब्द मुगलकाल के दौरान ही चलन में आया था। इससे पहले साधुओं के समूह को बेड़ा या फिर जत्था कह कर ही पुकारा जाता था। कुछ जानकार मानते हैं कि, अखाड़ा शब्द अक्खड़ शब्द से निकला है वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि, आश्रम शब्द से ही अखाड़ा शब्द बना। धार्मिक मान्यताओं पर दृष्टि डालें तो, अखाड़ा साधुओं का वह दल है जो अपने ज्ञान, पराक्रम, शस्त्र विद्या के जरिये समय-समय पर देश और धर्म की सुरक्षा करता है। आपको बता दें की भारत में कुल 13 अखाड़े हैं। इनमें से सबसे पुराना अखाड़ा आवाहन अखाड़े को माना जाता है। इस आखाड़े के बाद अन्य अखाड़े भी अस्तित्व में आए। आइए अब जान लेते हैं कि, अखाड़ों को बनाने के पीछे की वजह क्या थी।

क्यों बनाए गए अखाड़े? जानें वजह 

भारत में हजारों साल पहले से साधु-संत, ऋषि-मुनि रहते रहे हैं। हालांकि, पहले इनके समूह छोटे होते थे। वहीं ज्यादातर साधु-संन्यासी अकेले ही विचरण करना पसंद करते थे। माना जाता है कि, 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य के द्वारा अखाड़ा परंपरा की शुरुआत हुई थी। आदि शंकराचार्य ने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र में निपुण साधुओं के एक संगठन का निर्माण किया था। शंकराचार्य द्वारा यह कार्य इसलिए किया गया ताकि, साधुओं की शक्ति और पुरुषार्थ से राष्ट्र को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित किया जा सके। कालांतर में इन्हीं साधुओं के समूह को अखाड़ा नाम से जाना गया।  

आज भारत में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिनमें शैव संप्रदाय के 7, बरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 और उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े मौजूद हैं। कुंभ मेले में इन अखाड़ों के साधुओं द्वारा ही सबसे पहले शाही स्नान किया जाता है। माना जाता है कि, साधुओं को विशिष्ट दर्जा देने के लिए यह परंपरा भी आदि शंकराचार्य ने ही शुरू की थी। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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