Tuesday, November 05, 2024
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Garun Puran: आखिर कैसी है यमलोक के मार्ग में पड़ने वाली वैतरणी नदी, बीच में इन यातनाओं से गुजरना पड़ता है

शरीर त्यागने के बाद जीवात्मा अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक लोक जाती हैं। आज हम आपको गरुण पुराण में बताई गई वैतरणी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं। वैतरणी नदी यमपुरी के मार्ग में पड़ने वाली एक नरकगामी नदी है जिसकी यातनाएं बहुत भयानक बताई गई हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 17, 2023 17:20 IST
Garun Puran Vaitarni Nadi- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Garun Puran Vaitarni Nadi

Garun Puran: हिंदू धर्म में 18 पुराणों में से एक गरुण पुराण है। जिसमें भगवान विष्णु और पक्षिराज गरुण जी का संवाद विस्तार पूर्वक वर्णित है। गरुण पुराण में सनातन धर्म से जुड़ी कई सारी विधियों, नियमों, कर्मकांडों आदि के बारे में बताया गया है। इस पुराण में जीवन और मृत्यु का अटल सत्य भी बताया गया है और इसमें यह भी बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीवात्मा जब शरीर त्यागती है। तो उसे स्वर्ग और नरक लोक की प्राप्ति कैसे उसके किए गए कर्मों के अनुसार होती है।

आज हम आपको इस गरुण पुराण के अनुसार वैतरणी नदी के बारे में बताएंगे। यह नदी दुष्ट और पाप कर्म करने वाले लोगों के लिए अति भयानक है। इसे पार करना मृत्यु के कष्ट से भी कई गुना अधिक कष्टकारी है। लेकिन सभी के लिए यह वैतरणी नदी इतनी कष्टकारी नहीं है। अच्छे कर्म  करने वाली जीवात्माओं के लिए यह शांत और सरल है। तो आइये जानते हैं मृत्यु के बाद जब जीवात्मा यमलोक जाती हैं, तो बीच में पड़ने वाली यह वैतरणनी को कैसे पार करती हैं।

गरुण पुराण अनुसार कैसी है वैतरणी नदी

गरुण पुराण के अनुसार जो पापी जीव आत्माएं यमलोक के मार्ग को जाती हैं। उनको इस मार्ग के बीच वैतरणी नदी पार करनी पड़ती है। यह नदी अत्यंत भयानक है। कई योजन लंबी है। इस नदी में घोर अंधकार है। आग की तरह खोलती हुई यह नदी अनेक प्रकार की दुर्गघं सहित पदार्थों से भरी हुई है। लाल रक्त से रहित इस नदी को पापी जीवात्माएं पार करने से घबरा उठती हैं। जिन लोगों ने जीवन भर दूसरों को सताया है, चोरी की है, मदिरा(शराब पीना) का सेवन किया है, गुरुजनों का अनादर किया है, गलत कार्य किए हैं, गरीबों का हक मारा है, मां-बाप का अनादर किया है, ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए पत्नी या पती से छल कपट किया है, मित्र के साथ धोका किया है, दान पुण्य नहीं किया है, वेद-शास्त्रों को पाखंड कहा है, देवताओं का अनादर किया है, निर्दोश जीव-जंतुओं की हत्या की है और मासाहार किया, पूजा, यज्ञ, गौ दान जिसने नहीं किया है आदि अनेक प्रकार के पाप कर्म से रहित ऐसे लोगों को मृत्यु के पश्चात इस वैतरणी नदी को पार करना पड़ता है। इस नदी में यम दूत पापी आत्माओं को यम पाश से बांध कर ले जाते हैं। पापी मनुष्य कई बार इसमें डूबते हैं, इस नदी में माजूद सूईं की तरह बड़े-बड़े नुकीले दांतों वाले सर्प पापी आत्माओं को डंसते रहते हैं, बड़े-बड़े पैने दातों वाले गिद्ध पापी आत्माओं को नोचते रहते हैं। पाप कर्म करने वाली आत्माएं इस नदी को पार करते समय रोती बिलखती रहती हैं। किसी को यमदूतों के यम पाश से बंध कर कील से खिचते हुए यह नदी पार करनी पड़ती है, तो किसी को डूबते-डूबते। इस नदी में ऐसी भयानक स्थिति में पापी प्राणी नरक की यातनाओं को सहते हुए कई बार बेहोश हो जाता है। फिर होश में आकर जोर-जोर से चीखता बिलखता रहता है। अंत में वह अपने पूर्व जन्म के कर्मों को याद कर के पछताने लगता है, अपनी संतान, मित्र, पित-पत्नी को याद कर के जोर-जोर से पुकारने लगता है और भय के मारे जोर-जोर से रोने लगता है और फिर इस नदी में कष्ट पाकर सोचता है कि मैने ऐसे कर्म क्यों किए। लेकिन फिर भी यह नदी पार नहीं होती है। 

वैतरणी नदी किन लोगों को नहीं पार करनी पड़ती

गरुण पुराण के अनुसार जो लोग भगवत मार्ग पर चलते हैं, जिन्होनें भगवान विष्णु की भक्ति के साथ-साथ अपने आराध्या देवी-देवताओं की भक्ति की है, किसी के साथ छल नहीं किया, लोगों की साहयता की हो, भगवान के नाम की चर्चा, उनके नाम का जाप, वेद-शास्त्रों का अध्ययन, यज्ञ, हवन-पूजन, एकादशी व्रत का पालन, चार धाम यात्रा, मंदिरों में दान-पुण्य, तीर्थयात्रा की हों ऐसे पुण्य कर्म करने वाले लोगों को वैतरणी नदी की यातना नहीं सहनी पड़ती है।

गौ दान किया हो तो पार कर पाएंगे वैतरणी नदी

गरुण पुराण में लिखा है की जिसने भी अपने जीवन में एक बार भी गौ दान किया है। उनको वैतरणी नदी से वही गौ माता पार कराती हैं। पुराण में बताया गया है कि जब जीवात्मा वैतरणी नदी के पास पहुंचती हैं। तो उस नदी के तट पर वही गौ माता प्रकट होती हैं जिनका दान आपने अपने जीवन काल में किया है और फिर जीवात्मा उनकी पूंछ को पकड़ कर बिना किसी यातना को भोग कर सीधा वैतरणी नदी पार कर पाती हैं। लेकिन गौ दान करते समय इस बात का ध्यान रखें की गौ माता को उसी जगह दान करें जहां उनकी जीवन परियंत सैवा हो सके। गौ शाला में उनकी देख-रेख हो सके। ऐसी जगह गौ दान न करें, जहां गौ माता को कष्ट भोगना पड़े, वरना उस पाप का स्वयं भुगतान आपको भोगना पड़ता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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