रंग पंचमी का त्योहार साल 2024 में 30 मार्च को है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को देवताओं की होली मनाई जाती है और यही वजह है कि इसे रंग पंचमी का नाम दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी देवता धरती पर होली खेलने आते हैं। देवताओं की होली से जुड़ी कथा क्या है, और कैसे रंग पंचमी के त्योहार की शुरुआत हुई थी इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।
रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
द्वापर युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया था। माना जाता है कि, भगवान कृष्ण ने ही रंग पंचमी की शुरुआत की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी। भगवान कृष्ण और राधा जी को होली के रंगों में रंगा देखकर गोपियां भी शामिल हो गईं। राधा-कृष्ण की होली से धरती पर एक अद्भुत छटा बिखरने लगी, जिसे देखकर देवी-देवता भी मंत्रमुग्ध हो गए। देवी-देवता भी राधा-कृष्ण के साथ होली खेलना चाहते थे और इसीलिए वो भी गोपी और ग्वालों का रूप धारण करके राधा-कृष्ण की टोली में शामिल हो गए। यानि धरती पर सारे देवी-देवताओं ने राधा-कृष्ण के साथ होली मनाई। यही वजह है कि रंग पंचमी को देवताओं की होली कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आज भी रंग-पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर राधा-कृष्ण के साथ होली मनाने पहुंचते हैं।
रंग पंचमी पर ये कार्य करना शुभ
रंग पंचमी को लेकर कहा जाता है कि इस दिन हवा में गुलाल उड़ाने से वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही समाज में सौहार्द बना रहता है। इस दिन देवी-देवताओं खासकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त हो सकते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अतिउत्तम कहा गया है, साधकों को इस दिन अपने इष्ट की साधन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन किये गये ध्यान से आपको मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। जो लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं उनको कुछ ऐसे अनुभव इस दिन हो सकते हैं जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा आसान हो सकती है। मान्यताओं के अनुसार, क्योंकि इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं इसलिए उनकी आराधना करके भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति शीघ्र हो सकती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)