Friday, December 20, 2024
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Manikarnika Ghat: आखिर क्यों काशी में मृत्यु का होना मंगल माना जाता है? जानिए मणिकर्णिका घाट का रहस्य

जीवन का अंतिम अटल सत्य मृत्यु है और जिसने भी जन्म लिया है उसे एक न एक दिन प्राण त्यागने ही पड़ते हैं। लेकिन काशी में मृत्यु को शोक का विषय नहीं मंगलमय बताया गया है। आइए जानते हैं ऐसा क्यों कहा गया है और क्या है मणिकर्णिका घाट का रहस्य।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Dec 11, 2023 14:54 IST, Updated : Dec 11, 2023 14:58 IST
Manikarnika Ghat
Image Source : INDIA TV Manikarnika Ghat

Manikarnika Ghat: महादेव की नगरी काशी विश्व की सबसे प्राचीन नगरियों और तीर्थ धामों में से एक है। यह नगरी अद्भुत रहस्यों से भरी पड़ी है महादेव के कंठ में यदि राम नाम का जाप चलता है तो उनके हृदय में काशी वास करती है। सप्तपुरियों में काशी भी एक है और यहां मृत्यु को मंगल बताया गया है। काशी के बारे में ज्यादा जानना हो तो काशी खंड में कई सारी बाते इस शिव नगरी के बारे में बताई गई है। काशी नगरी मां गंगा के तट के समीप बसी हुई है और यहा लगभग 84 घाट बने हुए हैं। काशी का सबसे प्रसिद्ध और रहस्यों से भरा घाट मणिकर्णिका है। जिसे महाश्मशान कहा जाता है। आखिर काशी में मृत्यु को उत्सव के रूप में क्यों देखा जाता है आइए जानते हैं इस विषय के बारे में।

काशी खंड में आता है इसका वर्णन

मरणं मंगलं यत्र विभूतिश्च विभूषणम्

कौपीनं यत्र कौशेयं सा काशी केन मीयते।

इस श्लोक में काशी के मर्णिकर्णिका घाट की महिमा बताई गई है इसमें लिखा है कि काशी में मृत्यु होना मंगलकारी है। जहां की विभूती आभूषण हो जहां की राख रेशमी वस्त्र की भाति हो वह काशी दिव्य एवं अतुल्निय है। जो जीव काशी में प्राण त्यागता है फिर उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

काशी की महिमा और मणिकर्णिका घाट का महत्व

त्वत्तीरे मरणं तु मङ्गलकरं देवैरपि श्लाध्यते
शक्रस्तं मनुजं सहस्रनयनैर्द्रष्टुं सदा तत्परः ।
आयान्तं सविता सहस्रकिरणैः प्रत्युग्दतोऽभूत्सदा
पुण्योऽसौ वृषगोऽथवा गरुडगः किं मन्दिरं यास्यति॥

इस श्लोक में मर्णिकर्णिका घाट की प्रशंसा में लिखा गया है कि इस घाट के तट पर मृत्यु शुभ है और इसकी प्रशंसा स्वयं देवता करते हैं। जिस व्यक्ति की मृत्यु काशी में होती है उसे देवताओं के राजा इंद्र अपनी सहस्त्र नेत्रों से देखने के लिए व्याकुल रहते हैं। सूर्य देव भी उस जीवात्मा को शरीर त्याग आता देख अपनी हजार किरणों से उसका स्वागत करते हैं। देवता उस जीवात्मा के परलोक गमन की यात्रा के बारे में चर्चा करते हैं और मन ही मन सोचत हैं कि पता नहीं यह जीव वृषभ (शिव के वाहन का स्वरूप) पर सवार होकर या फिर गरुड़ (भगवान विष्णु का वाहन) पर सवार होकर बैकुंठ जएगा या कैलाश। इसकी परम गति तो हम भी जानने मे असमर्थ हैं।

काशी में 24 घंटे जलती है चिता

काशी के मर्णिकर्णिका घाट में 24 घंटे चिता जलती रहती है और यह कभी भुजती नहीं है। इसलिए काशी के इस घाट को महाश्मशान कहते हैं। यह घाट अनेक रहस्यों से भरा पड़ा है। काशी खंड के अनुसार जिसका भी यहां अंतिम संस्कार होता है या मृत्यु होती है उसे स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र कान में देकर मोक्ष प्रदान करते हैं।

आखिर क्या तारक मंत्र देते हैं भगवान शिव

मान्यता है कि काशी में जो भी अपने प्राण त्यागता है भगवान शिव स्वयं उसके कान में तारक मंत्र बोलते हैं। जिसे जानकर जीवात्मा सीधे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। इसलिए काशी में मृत्यु को मंगल कहा जाता है। कितना भी दुर्चारी व्यक्ति या पापी प्राणी क्यों न हो उसकी मृत्यु यदि यहां होती है तो उसकी मुक्ति सुनिश्चित है। पुराणों में लिखा है काशी में मृत्यु को प्राप्त करना पूर्व जन्म के कर्म ही होते हैं। भगवान शिव जीवात्मा के कान में आकर तीन बार राम राम राम बोलते हैं। जिसे तारक मंत्र कहा जाता है क्योंकि राम नाम में इतना सामर्थ है कि यह किसी को भी भव सागर से पार कर सकता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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