Sunday, November 24, 2024
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Bali Pratipada 2023: आखिर कैसे मिला दैत्यराज बलि को पूज्यनीय होने का वरदान? क्या है इसके पीछे का कारण, पढ़ें पौराणिक कथा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन दैत्यराज बलि की पूजा का विधान है। आखिर दैत्यराज बलि की पूजा क्यों की जाती है किसने दिया था इन्हें पूज्यनीय होने के वरदान। आइये आज हम आपको इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 13, 2023 12:28 IST
Bali Pratipada 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Bali Pratipada 2023

Bali Pratipada 2023: हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन यानी दीपावली से ठीक एक दिन बाद बलि प्रतिपदा मनाई जाती है। जिसे दीपावली के पड़वा वाला दिन भी कहा जाता है। इस बार बलि प्रतिपदा वैदिक पंचांग की तिथि के अनुसार 14 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को है। इस दिन मुख्य तौर से दैत्य राज बलि कि पूजा होती है। अब आप सोच रहे होंगे की इस दिन दैत्यराज होने के बाबजूद भी आखिर क्यों इनकी पूजा की जाती है। तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि, कौन हैं दैत्यराज बलि और क्यों होती हैं इनकी पूजा।

भगवान विष्णु ने जब लिया वामन अवतार

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद के पुत्र बलि जो दैत्यों के राजा कहलाय जाते हैं और उन्होनें अपने पराक्रम से स्वर्ग लोक पर बलपूर्वक कबजा कर लिया था। इस बात से देवता परेशान होकर भगवान विष्णु से सहायता लेने पहुंचे। भगवान विष्णु ने राजा बलि से स्वर्ग लोक को मुक्त कराने के लिए वामन अवतार लिया और एक बौने ब्रह्मण का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंचे। दैत्य होने के बाबजूद भी बलि अपने पिता की तरह विष्णु भक्त थे और उनके अंदर दान-पुण्य के संस्कार थे। जब वामन रूप रख कर भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी तो राजा बलि ने दान देने का संकल्प लिया। जैसे ही बलि ने भगवान विष्णु के वामन रूप से कहा कि आप तीन पग भूमि नाप लीजिए मैं आपको यह दान करता हूं।

जब बलि ने लिया तीन पग भूमि दान करने का संकल्प

बलि के दान का संकल्प लेते ही भगवान विष्णु ने अपना विशाल रूप धारण किया और पहले पग में धरती नापी, दूसरे पग में पूरा ब्रह्माण और जब बालि से पूछा में तीसरा पग कहां रखूं? तब राजा बलि ने कहा, मैने वचन दिया है और इसलिए तीसरा पग अब आप मैरे सिर पर रख दीजिए प्रभु। तीसरा पग रखते ही राजा बलि पताल लोक पहुंच गए और इस प्रकार भगवान विष्णु ने बलि के कबजे से पूरा स्वर्ग लोक फिर से मुक्त करा लिया।

बलि की उदारशीलता से भगवान विष्णु हुए प्रसन्न

भगवान विष्णु बलि की भक्ति और उनके दान के समर्पण से प्रसन्न हुए और उन्होने पूरे पाताल लोक का स्वामी राजा बलि को बना दिया। कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि के दिन भगवान विष्णु ने बलि को वरदान दिया था की वह साल में एक बार धरती पर आएंगे और जगत में उनकी उस दिन पूजा होगी। इसलिए कार्तिक की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को बलि प्रतिपदा भी कहा जाता है। भारवर्ष की भूमि पर राजा बलि की पूजा अधिकतर दक्षिण भारत में की जाती है।

 बलि पूजा शुभ मुहर्त

बलि प्रतिपदा - 14 नवंबर 2023 दिन मंगलवार

पूजा का मुहूर्त समय - 14 नवंबर 2023 की सुबह 6 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक।
पूजा की कुल अवधि - 2 घंटे 9 मिनट।
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 13 नवंबर 2023 दिन समोवार दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से।
प्रतिपदा तिथि समाप्ति - 14 नवंबर 2023 दिन मंगलवार दोपहर 2 बजकर 36 मिनट तक।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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