Phulera Dooj 2024: प्रत्येक वर्ष फूलेरा दूज का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन मनाया जाता है। फूलेर दूज मथुरा, वृंदावन समेत पूरे ब्रज मंडल का प्रमुख मनाया जाने वाला त्योहार है। यह पर्व पूर्ण रूप से भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्राणप्रिय राधा रानी को समर्पित है। फूलेरा दूज से ही होले के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है, इस दिन फूलों से होली खेलना का विधान है। इस बार फूलेरा दूज का त्योहार कब मनाया जाएगा और क्या रहेगा इसका मुहूर्त आइए जानते हैं।
फूलेरा दूज कब है
- फूलेरा दूज- 12 मार्च 2024 दिन मंगलवार
- फाल्गुन माह द्वितीया तिथि प्रारंभ- 11 मार्च 2024 दिन सोमवार सुबह 10 बजकर 44 मिनट से शुरू।
- फाल्गुन माह द्वितीया तिथि समाप्ति- 12 मार्च 2024 दिन मंगलवार सुबह 7 बजकर 1 मिनट पर समापन।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार फूलेरा दूज का त्योहार 12 मार्च 2024 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
फूलेरा दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता है
फूलेरा दूज का त्योहार भगवान कृष्ण और राधा रानी से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन समेत पूरे ब्रज मंडल का प्रमुख त्योहार है। इस दिन यहां फूलेरा दूज की धूम देखने लायक रहती है। वृंदावन के बांके बिहरी मंदिर में फूलेरा दूज भव्य तरह से मनाया जाता है। होली के पहले दिन की शुरुआत फूलेरा दूजे के साथ प्रारंभ होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के ऊपर फूल अर्पित किए थे, फिर राधा रानी ने भी कृष्ण जी के ऊपर पुष्प हर्ष से फेंके। तब से यह पर्व फूलेरा दूज के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस दिन ब्रजभूमि में फूलों से होली खेली जाती है। यहां पर लोग एक दूसरे के ऊपर फूल बरसा कर होली खेलते हैं। मंदिरों में भगवान कृष्ण और राधा रानी को फूलों से सजाया जाता है और लोग पुष्प वर्षा करते हैं। यह पर्व बड़े उत्सव और खुशियों के साथ मनाया जाता है। अतः इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी के दर्शन कर उनको पीले रंग के पुष्प चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
फूलेर दूज के दिन की विशेष बात
फूलेरा दूज का दिन शुभ होता है, अतः इस दिन कोई अशुभ मुहूर्त पूरे दिन नहीं होता है। इस दिन किए गए सभी कार्य अक्षय को प्राप्त होते हैं और वह सफल भी होते हैं। इस दिन विवाह भी किया जाता है, मान्यता है कि इस दिन विवाह करने वाले जोड़ों के बीच सदैव प्रेम बना रहता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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