
प्रदोष व्रत हर माह आता है, यह तिथि भोलेनाथ को समर्पित मानी जाती है। इस दिन विशेष तौर पर शाम के समय में भोलेनाथ की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाई जाती है, इसलिए इस दिन भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिवभक्त इस दिन मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा इस तिथि पर करने से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली और भाग्य में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत कब पड़ रहा?
कब है आखिरी प्रदोष व्रत?
हिंदू पंचांग की मानें तो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 फरवरी को दोपहर 12.47 बजे शुरू होगी, जो 26 फरवरी को सुबह 11.08 बजे खत्म होगी, ऐसे में प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 06.18 बजे से 08.49 बजे तक रहेगा, इसकी अवधि 02.30 घंटे रहेगी। दिन का प्रदोष समय शाम 06.18 से 08.49 बजे तक रहेगा। बता दें 26 फरवरी को सुबह 11.08 बजे से महाशिवरात्रि भी शुरू हो रही है, जो बेहद शुभ मानी जाती है।
प्रदोष व्रत के उपाय
इस दिन जातक को शिवलिंग पर कच्चे दूध या गंगाजल अर्पित करना चाहिए। फिर भगवान शिव को सफेद रंग के पुष्प की माला चढ़ाएं, इसके बाद भगवान को 108 चावल के साबूत दाने चढ़ाने चाहिए और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। अगर ये मंत्र नहीं पता है तो आप 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का भी जप कर सकते हैं। फिर खीर का भोग लगाएं और फिर शिव चालीसा का पाठ करें। हो सके तो शिव तांडव स्त्रोत का पाठ भी जरूर करें। इस दिन गौ-सेवा का बड़ा महत्व है। ऐसे में गौवंशों को चारा जरूर खिलाएं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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