Kalki Avtar: हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब भगवान विष्णु उसकी रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए अवतार लेते हैं। आज हम आपसे बात कर रहे हैं भगवान विष्णु के क्लिक अवतार के बारे में जिनका अवतरित होना अभी बाकी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब कलयुग अपने अंतिम चरण में होगा और चारों तरफ धर्म की हानि होगी तब भगवान विष्णु कल्कि रूप में पृथ्वी पर प्रकट होंगे। उनके जन्म का उद्देश धर्म की छति को रोकना और कलि राक्षस का वध करना होगा। यह भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा इसके बाद कलयुग समाप्त हो जाएगा और पुनः सतयुग प्रारंभ होगा। लेकिन कल्कि भगवान का उत्तर प्रदेश स्थित संभल जिले से क्या नाता है और इस तीर्थ का क्या है धार्मिक महत्व आइए जानते हैं।
कल्कि भगवान का स्वरूप कैसा होगा?
विष्णु भगवान कल्कि रूप में और अपने 10वें अवतार में कलयुग के अंत में प्रकट होंगे और अधर्मियों का विनाश करेंगे। विभिन्न धर्म ग्रंथों और पुराणों में भगवान कल्कि के स्वरूप के बारे में बताया गया है। ग्रंथों के अनुसार भगवान कल्कि के हाथों में धनुष बाण और तलवार होगी। उनकी सवारी सफेद घोड़ा होगा जिसका नाम देवदत्त होगा। जब कलयुग में चारों तरफ घोर पाप अपने चरम पर होगा, जब पापाचार अत्याधिक बढ़ जाएंगे, मानवता का अंत हो जाएगा और धर्म का पतन होने की कगार पर पहुंच जाएगा। तब कल्कि भगवान कलि राक्षस का संहार और अधर्मियों का अंत कर पुनः धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि भगवान के गुरु परशुराम होंगे जो चिंजीवी हैं। मान्यता है कि वह आज भी जीवित हैं और कल्कि भगवान के अवतार लेने तक पृथ्वी पर ही रहेंगे।
संभल से क्या है क्लिक भगवान का नाता
पुराणों में वर्णन मिलता है कि कल्कि भगवान का जन्म विष्णुयशा नाम के तपस्वी ब्राह्म्ण के यहां पुत्र रूप में होगा। वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश के संभल गांव में है। माना जाता है कि वह मात्र 3 दिन में कलयुग के अधर्मियों का विनाश कर पुनः सतयुग की स्थापना करेंगे। भविष्य पुराण के अनुसार जब कलयुग का अंत होगा तब पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी और आकाश में 12 सूर्य उदय होकर प्रकाशित होंगे।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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