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क्या है राम मंदिर अयोध्या में होने वाली प्रायश्चित पूजा? ये क्यों जरूरी है और कब करनी चाहिए

अयोध्या में आज मंगलवार के दिन प्रायश्चित पूजा की जा रही है। 22 जनवरी 2024 को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी पूजा पद्धतियों का पालन नियमित रूप से किया जा रहा है। आइए जानते हैं वैदिक परंपरा के अनुसार आखिर ये प्रायश्चित पूजा क्या होती है और इसे क्यों किया जाता है।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: January 16, 2024 11:24 IST
Ayodhya Ram Mandir- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ayodhya Ram Mandir

Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्राण  प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। इस शुभ घड़ी के दिन रामलला की मूर्ति राम मंदिर में विराजेगी। प्राण प्रतिष्ठा से ठीक पहले आज मंगलवार के दिन अयोध्या में प्रायश्चित पूजा की जा रही है। यह पूजा सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो चुकी है और यह पूरे 5 घंटे चलेगी। वैदिक परंपरा के अनुसार आखिर ये प्राश्चित क्या होती है और इसे क्यों किया जाता है आइए इसके बारे में विस्तार से सब कुछ जानते हैं। 

क्या है प्रायश्चित पूजा

जीवन में हर प्राणी से जाने अनजाने में कोई न कोई भूलचूक हो ही जाती है। भूलचूक के कारण मनुष्य को इसका पछतावा भी होता है। हिंदू धर्म में भगवान की पूजा पाठ करने के लिए वैदिक परंपरा के अनुसार विशेष नियम पद्धतियां हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले उनका पालन करना अनिवार्य होता है। ऐसे में यदि किसी भी पूजा पद्धति का पालन नियमित रूप से अगर नहीं हो पाता है। तो उस कारण मन को खेद होता है कि प्रभु की पूजा में भूलचूक से गलती हो गई और इसी गलती का प्रायश्चित करने के लिए इसकी पूजा की जाती है। 

इन चीजों का रखना होता है ध्यान

इस पूजा में शारीरिक, मानसिक और आंतरिक इन तीन चीजों का प्रायश्चित किया जाता है। वैदिक पूजा पद्धति के अनुसार इस पूजा में 10 विधि का स्नान भी किया जात है। इसमें पवित्रता का संकल्प लेते हुए भस्म समते कई चीजों से स्नान किया जाता है। इस पूजा में एक गोदान करने का भी विधान होता है। सोना-चांदी और आभूषण भी इस पूजा में दान किए जाते हैं।

सनातन धर्म में प्रायश्चित पूजा का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार यदि भगवान की अराधना या उनके निमित धार्मिक अनुष्ठान में कोई कसर रह जाती है। तो उसका प्रायश्चित करने से किसी भी तरह का पाप नहीं लगता है। शास्त्रों में भी लिखा है कि भूलचूक हुई गलती का प्रायश्चित करने से वह पाप मिट जाते हैं। इसलिए जब मंदिरों का निर्माण या देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्तियों को विराजमान कराया जाता है। तो यह बहुत पवित्र और बड़े अनुष्ठानों की श्रेणी में आती है। इसलिए इस दौरान अगर किसी भी तरह की भूलचूक हो जाती है तो उसके लिए प्रायश्चित पूजा करने से उसका दोष नहीं लगता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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