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Shani Sade Sati: शनि की साढ़ेसाती से कब मिलता है छुटकारा? जानिए कितने पड़ावों से गुजरना पड़ता है

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। इनकी साढ़ेसाती का असर व्यक्ति के जीवन में कुछ वर्षों तक के लिए रहता है। शनि की साढ़ेसाती के कितने चरण होते हैं। आइए जानते हैं इस दौरान क्या कुछ कष्ट झेलना पड़ता हैं और उनसे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: January 13, 2024 19:00 IST
Shani Sade Sati- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shani Sade Sati

Shani Sade Sati: शनि देव जहां न्याय के देवता कहे जाते हैं। वहीं वो व्यक्ति की कड़ी परीक्षा भी लेते हैं। ज्योतिष में उन्हें कर्मफल दाता कहने के पीछे यही कारण है कि वह व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसे फल देते हैं। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है। शनि देव उसी के अनुसार उसे फल देते हैं।

शनि दोष की बात करें तो सबसे ज्यादा कष्टकारी उनकी साढ़ेसाती होती है। ढैय्या तो ढाई वर्ष तक रहती है। परंतु साढ़ेसाती पूरे साढ़े सात साल तक व्यक्ति की परीक्षा लेती है और उसे साढ़ेसात वर्ष की अवधि तक कष्ट और शनि देव का प्रकोप झेलना पड़ता है। यह साढ़ेसाती 3 चरण की होती है, आइए जानते हैं साढ़ेसाती के तीन चरण कौन-कौन से होते हैं और इसके प्रभाव से बचने के लिए कौन से सरल उपाय करने चाहिए।

शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण

उदय चरण- शनि की साढ़ेसाती का यह पहला चरण होता है, यह पूरे ढाई वर्ष तक अपना प्रभाव देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस चरण में शनि देव व्यक्ति के मस्तक पर सवार होते हैं और उसे मानसिक कष्ट मिलता है। इस दौरान व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उदय चरण के दौरान व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है , शारीर को कष्ट मिलता है, मानसिक तनाव, चिंता सताना और घर परिवार में कलह आदि कष्ट इस चरण के दौरान भोगने पड़ते हैं।

मध्य चरण- यह चरण शनि महाराज की साढ़ेसाती का दूसरा चरण होता है, इस चरण को मध्य चरण भी कहते हैं। इसकी अवधि सीमा कुल ढाई साल के लिए होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान शनि देव व्यक्ति के कंधे पर सवार होते हैं। शनि की साढ़ेसाती का यह चरण व्यक्ति की कड़ी परीक्षा लेता है। इस दौरान व्यक्ति को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन इसके साथ ही उसे सफलता भी मिलती है। इस चरण में व्यक्ति को अपने करियर में सफलता, धन लाभ और मान-सम्मान प्राप्त होता है। व्यक्ति के कड़े परिश्रम करने के बाद यह साढ़ेसाती का चरण उसे योग्य बनाता है।

अस्त चरण- शनि महाराज का यह अंतिम और साढ़ेसाती तीसरा चरण होता है। यह भी अन्य दो चरणों की तरह ढाई वर्ष की अवधि के लिए होता है। शनि देव की साढ़ेसाती के अस्त चरण का प्रभाव व्यक्ति के पैरों पर होता है। इस दौरान व्यक्ति को थोड़ी बहुत राहत मिलती है। फिर भी उसे कुछ कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है। इस चरण के दौरान व्यक्ति को अपने जीवन में संतुलन बनाने की आवश्यकता होती है। इस चरण के समाप्त होने के बाद व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पूर्णतः मुक्त हो जाता है।

साढ़ेसाती के दौरान कीए जाने वाले उपाय

शास्त्रों के अनुसार शनि की साढ़ेसाती के दौरान  कुछ उपाय करने से जीवन में लाभ मिलता है और इसके कष्ट से कुछ हद तक राहत भी मिलती है। इस दौरान दान-पुण्य करने, शनि मंत्र का जाप करने, महादेव की आराधना करने और काले तिल या उड़द का दान करने से साढ़ेसाती की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ करना भी आपके लिए बड़ा लाभाकारी साबित होगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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