Ashta Lakshami: शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। आज का दिन मां लक्ष्मी की उपासना करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा के बिना धन की प्राप्ति नहीं होती हैं। वैसे तो धन का सीधा अर्थ हम आर्थिक स्थिति के रूप से समझते हैं। लेकिन जीवन में सिर्फ आर्थिक संपन्नता से कुछ विशेष लाभ नहीं होता है। धन के अलावा जीवन में ज्ञान, संपन्नता, सामज में मान-प्रतिष्ठा आदि बातों से व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ और धनी कहलाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथो में मां लक्ष्मी के आठ रूप रूप बताए गएं हैं, जिनकी उपासना से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी के अष्ट रूपों की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है वह संपूर्ण ऐश्वर्य को प्राप्त करने वाला और अपार धन का स्वामी कहलाता है। आइये जानते हैं मां लक्ष्मी के वो आठ रूप कौन-कौन से हैं और उनकी कृपा से क्या फल मिलता है।
आदिलक्ष्मी- देवी मां का यह रूप सबसे पहला रूप शास्त्रों में बताया गया है। आदि लक्ष्मी को महालक्ष्मी भी कहा जाता है। आदिलक्ष्मी का यह रूप मां लक्ष्मी के सभी रूपों की उत्पत्ति का उदगम माना जाता है। मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में अपार धन प्राप्त होता है। जो भक्त मां आदिलक्ष्मी की पूजा करते हैं उनके पास धन दौलात के भंडार भरे रहते हैं।
धनलक्ष्मी- यह मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप है। धनलक्ष्मी का रूप करुणामयी है। इनके एक हाथ में धन से भरा कलश है और दूसरे हाथ में मां ने कमल का फूल लिया हुआ है। पुराणों के अनुसार मां ने यह रूप भगवान विष्णु को कुबेर के श्रण से मुक्ति दिलाने के उपदेश से लिया था। जो भक्त सच्चे मन से धनलक्ष्मी मां की पूजा करते हैं। उनके ऊपर किसी भी प्रकार से श्रण का भार नहीं रहता है।
धान्यलक्ष्मी- मां लक्ष्मी का यह तीसरा रूप है। जैसा की आपको पता है कि धान्य का संबंध अनाजा से होता है, यह रूप मां लक्ष्मी का फसलों और अन्न की समृद्धि का आशीर्वाद देने वाला है। धान्यलक्ष्मी मां के हाथों में धान, गेहूं, कमल का फूल और फल सुशोभित है।
गजलक्ष्मी- मां गजलक्ष्मी की रूप सफेद है। शास्त्रों में मां सफेद हाथी के ऊपर कमल के आसन के ऊपर बैठी हुईं रूप में दर्शायी गई हैं। मान्यता है कि इन्होनें इंद्र देव के खोए हुए दन-संपदा को वापस दिलवाया था।
संतानलक्ष्मी- मां लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ती होती है। शास्त्रों के अनुसार संतानलक्ष्मी को स्कंदमाता का रूप बताया गया है। इनके चार हाथ हैं और इनकी गोद में बाल रूप में भगवान स्कंद बैठे हुए हैं। जिन भक्तों पर मां संतान लक्ष्मी की कृपा होती वह उनकी रक्षा अपने संतान के रूप में करती हैं।
वीरलक्ष्मी- लक्ष्मी मां का यह छठा स्वरूप है। मां लक्ष्मी का यह रूप शक्ति और साहस को दर्शाता है। जिन भक्तों पर मां वीर लक्ष्मी की कृपा होती है, वह सदैव अपने मार्ग में साहस के साथ आगे बड़ते हैं।
भाग्यलक्ष्मी: मां लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से भाग्योदय होता है। बिना भाग्य के व्यक्ति को जीवन में सफलता नहीं मिलती है, चाहें वह कितना भी प्रयास कर ले। भाग्यलक्ष्मी मां की पूजा करने से सोया हुआ भाग्य जाग जाता है और व्यक्ति को जीवन में हर जगह अपार सफलता मिलती है। भाग्यलक्ष्मी मां के आशीर्वाद से घर की धन संपदा बनी रहती है।
विद्यालक्ष्मी- मां लक्ष्मी के आठ रूपों में से यह भी एक रूप हैं। मां लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से ज्ञान और विवेक की प्राप्त होती है। किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए मां लक्ष्मी के इस रूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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