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Wednesday Mythology Story: टूटे हुए दांत से आखिर श्री गणेश को क्यों लिखनी पड़ी थी महाभारत, इसके पीछे छिपी है एक रोचक कथा

वैसे तो हम सभी जानते है कि भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूज्यनीय दवेता हैं। इनको सभी देवताओं की पूजा करने से पहले पूजा जाता है। बुधवार का दिन इनकी पूजा के लिए सबसे शुभ होता है। क्या आप जानते हैं भगवान गणेश को टूटे हुए दांत से महाभारत क्यों लिखनी पड़ी थी।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 29, 2023 12:19 IST
Wednesday Mythology Story- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Wednesday Mythology Story

Wednesday Mythology Story: हिंदू धर्म में कई ग्रंथ हैं उनमें से एक महाकाव्य महाभारत भी है। जी हां, आज हम आपको यही बताएंगे की भगवान गणेश ने महाभारत कैसे लिखी थी। आज बुधवार का दिन है और यह गणपति देव का सबसे प्रिय दिन होता है। आज के दिन इनकी पूजा करने से जीवन में चल रहे सारे कष्ट और पीड़ा का नाश होता है। लेकिन आज हम आपको भगवान गणेश से जुड़ी एक रोचक बात बताने जा रहे हैं।

आप सभी नें महाकाव्य महाभारत के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महाकाव्य ग्रंथ को भगवान श्री गणेश ने अपने टूटे हुए दांत से लिखा था। आप भी यह बात सोच कर हैरान हो रहे होंगे। तो चलिए आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि आखिर कैसे भगवान गणेश ने अपने टूटे हुए दांत से महाभारत को लिखा और ऐसा उन्होनें क्यों किया।

पहले वेद व्यास जी लिखने वाले थे महाभारत

वेद व्यास जी ने 18 पुराणों को लिखा है। इसी के साथ वह महाकाव्य महाभारत भी लिखना चाहते थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा ने उन्हें महाभारत लिखने की प्रेरणा दी। लेकिन वेद व्यास महाभारत के लेखन कार्य को स्वयं लिखने में असमर्थ हो रहे थे। तब वेद व्यास जी ने ब्रह्मा जी को अपनी यह परेशानी बताई। इस पर ब्रह्मा जी ने व्यास जी को श्री गणेश से महाभारत लिखवाने के लिए सुझाव दिया और यह बताया कि श्री गणेश ही हैं जो आपकी महाभारत लिखने में सहायता कर सकते हैं। 

एक शर्त के चलते भगवान गणेश ने लिखी टूटे दात से महाभारत

ब्रह्मा जी के कहने पर वेद व्यास जी ने भगवान गणेश को पुकारा और उनसे महाभारत लिखने की प्रार्थना की। इस बात पर गणेश जी ने एक शर्त रखते हुए कहा कि यदि लेखन कार्य शुरू हुआ तो वेद व्यास जी महाभारत के बारे में बताते हुए बिल्कुल भी नहीं रुकेंगे। यदि वेद व्यास जी महाभारत को लिखवाते समय एक भी बार बीच में रुक गए। तो फिर गणेश जी वहीं पर लेखन कार्य को विराम दे देंगे। इसी शर्त के बदले वेद व्यास जी ने भी गणेश जी के सामने एक शर्त रखी कि जब वह महाभारत के लेखन कार्य के लिए श्लोक बोलेंगे। तो गणेश जी की कलम भी बीच में कहीं नहीं रुकनी चाहिए। भगवान गणेश ने यह प्रस्ताव तो स्वीकार कर लिया। लेकिन महाभारत की कठिन शब्दावली के कारण गणेश जी की गति रुक सी जा रही थी। इसी जल्द बाजी के चक्कर में उनकी कलम टूट गई और उनकी गति धीरी होती जा रही थी। शर्त के अनुसार उनकी लेखनी न रुकने पाए। इसलिए उन्होनें अपना एक दांत स्वयं तोड़ लिया और उसी दांत से महाभारत लिखना जारी रखा। इस प्रकार श्री गणेश ने पूरी महाभारत लिखी और इस कारण अकसर उनकी प्रतिकात्मक छवि में उन्हें अकसर दातों से महाभारत लिखते हुए दर्शाया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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