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Vishwakarma Puja 2022: क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा? इस दिन शुभ मुहूर्त में किस भगवान की करें पूजा?

Vishwakarma Puja 2022: विश्वकर्मा पूजा को 17 सितंबर को उनके जन्‍मदिवस को विश्‍वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। विश्‍वकर्मा को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है।

Written By: Sweety Gaur @sweety_gaur
Updated on: September 17, 2022 13:52 IST
Vishwakarma Puja 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Vishwakarma Puja 2022

Highlights

  • क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा?
  • विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती है?
  • विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त कब है?

Vishwakarma Puja 2022: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और त्योहारों का काफी महत्व हैं। यहां हर अच्छी चीज़ की शुरुआत पूजा-पाठ के साथ होती है। भारत में भगवान के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। आज यानी 17 सितंबर को पूरा भारत में विश्वकर्मा पूजा मनाई जा रही है। इसे विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा का जन्‍म भादो माह में हुआ था। 

क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा?

हर साल 17 सितंबर को उनके जन्‍मदिवस को विश्‍वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। विश्‍वकर्मा को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। विश्वकर्मा को दुनिया में सबसे पहले वास्तु और इंजीनियरिंग की उपाधि दी गई है। आज के दिन सभी लोग अपने घरों में सुख-शांति और अपने और अपने कारोबार में तरक्की के लिए विश्वकर्मा पूजा करते हैं। श्रमिक अपने खेतों और कारखानों में अपनी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। 

Vishwakarma Puja 2022

Image Source : TWITTER
Vishwakarma Puja 2022

भगवान विश्वकर्मा कौन है?

भगवान विश्वकर्मा जी देवताओं के शिल्पकार थे। इसलिए इन्हें शिल्प के देवता के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इनके पिता का नाम वास्तु था, जो धर्म की सातवीं संतान थे, और धर्म ब्रम्हा जी के पुत्र भी थे। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। तकनीकी जगत के भगवान विश्वकर्मा जी का त्यौहार प्रतिवर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है जोकि अमूमन 16 या 17 सितंबर को पड़ती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन लोहे के सामानों जैसे औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा होती है और इस दिन अधिकतर दफ्तर बंद ही रहते हैं।

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विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती है?

  • -  सबसे पहले अक्षत अर्थात चावल, फूल, मिठाई, फल रोली, सुपारी, धूप, दीप, रक्षा सूत्र, मेज, दही और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर इत्यादि की व्यवस्था कर लें।
  • - सारी सामग्री का प्रबंध करने के बाद अष्टदल की बनी रंगोली पर सतनजा बनाएं। 
  • - उसके बाद पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ विश्वकर्मा जी की मूर्ति की पूजा करें और उनके ऊपर फूल अर्पण करें।
  • - इसके साथ ही 'हे विश्वकर्मा जी आइए, मेरी पूजा स्वीकार कीजिए' जाप कीजिए।

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विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त कब है?

  • - भगवान विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त– 17 सितंबर को सुबह 07.39 से सुबह 09.11 तक 
  • - दूसरा शुभ समय- दोपहर 01.48 से दोपहर 03.20 मिनट तक
  • - तीसरा शुभ समय– दोपहर 03.20 से शाम 04.52 मिनट तक

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