
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी महत्व होता है, यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। विनायक चतुर्थी हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आती है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि उनके जीवन में आने वाले सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाएं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। यह तिथि ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का भी प्रतीक मानी जाती है।
कब है विनायक चतुर्थी?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 मार्च को रात 09.01 बजे आरंभ होगी, जो अगले दिन यानी 3 मार्च की शाम 06.02 बजे तक रहेगी। उदया तिथि की मान्यता होने के कारण यह तिथि 3 मार्च को मनाई जा रही है।
कैसे की जाती है इस दिन पूजा?
इस दिन जातक सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनें। फिर घर के मंदिर में भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं पूजा के शुरुआत में ही व्रत का संकल्प लें। साथ ह भगवान गणेश को फिर पंचामृत से स्नान कराएं और फिर साफ जल से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान गणेश को चंदन, रोली, कुमकुम और फूलों से श्रृंगार कराएं। फिर उन्हें लड्डू, मोदक का भोग लगाएं। फिर भगवान गणेश के विभिन्न मंत्रों का जप करें जैसे- “ॐ गं गणपतये नमः” और “ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा”। इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें। दिन भर उपवास करने के बाद शाम को भगवान गणेश को भोग लगाकर व्रत खोलें।
रखें इन बातों का ध्यान
याद रखें कि इस दिन किसी भी हाल में चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। साथ ही इस दिन बड़ों का अनादर भी न करें। तामसिक भोजन से भी दूर रहें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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