हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी मनायी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। हमारी संस्कृति में गणेश जी को प्रथम पूजनीय का दर्जा दिया गया है। किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा का ही विधान है। बता दें कि श्री गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना गया है। साथ ही इन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। मार्गशीर्ष माह की विनायक चतुर्थी का व्रत 27 नवंबर 2022 को रखा जाएगा।
मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2022 डेट
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल विनायक चतुर्थी तिथि 26 नवंबर 2022 को रात 07 बजकर 28 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 27 नवंबर 2022 को 04 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन होगा।
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11:11 - दोपहर 01:18 (27 नवंबर 2022)
विनायक चतुर्थी का पूजा मुहूर्त औगणेश जी की उपासना शीघ्र फलदायी मानी गयी है और आज के दिन गणेश जी के निमित्त व्रत करने से व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही हर तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और धन-संपत्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन न करें
धार्मिक कथाओं के अनुसार चंद्रदेव अपने सौंदर्य पर बहुत अहंकार था। जब भगवान गणपति को हाथी का मुख लगाया जा रहा था तब चंद्रदेव इसका उपहास कर रहे थे। चंद्रमा को मंद मुस्कुराते हुए गणपति ने देख लिया और वह क्रोध में आ गए। गुस्से में गजानन ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। उस दिन विनायक चतुर्थी थी। बाद में चंद्रमा अपनी इस गलती की माफी मांगी तब गणेजी बोले की सूरज का प्रकार पाकर तुम पुन: धीरे धीरे अपने असली रूप में आ जाओगे लेकिन ये दिन आपको दंड देने के लिए याद किया जाएगा और जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा उस पर झूठे आरोप का कलंक लगेगा। यही वजह है कि विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)