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Dussehra 2022: क्यों हर साल किया जाता है रावण का दहन? जानें इसके पीछे की बड़ी वजह

Dussehra 2022 : नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण पर जीत हासिल की थी। रावण के पुतले को जलाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। आइए जानते हैं क्यों किया जाता है रावण का दहन।

Written By: Akanksha Tiwari @akankshamini
Published : Oct 04, 2022 15:50 IST, Updated : Oct 04, 2022 16:45 IST
Dussehra 2022
Image Source : PIXABAY जानिए क्यों हर साल किया जाता है रावण का दहन

Highlights

  • दशहरे के त्यौहार पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है
  • रावण दहन से बुराई पर अच्छाई की जीत का उदाहरण मिलता है
  • मध्य प्रदेश के मंदसौर में होती है रावण की पूजा

Dussehra 2022:  देशभर में दशहरे के त्यौहार पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। नौ दिन की नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और दशहरे से 21वें दिन पर दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।  अब अगर आपके मन में ये सवाल उठता है कि रावण का दहन क्यों किया जाता है तो इसका जवाब हम आपके लिए लाए हैं। कहा जाता है कि रावण दहन से बुराई पर अच्छाई की जीत का उदाहरण मिलता है।

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क्यों होता है रावण दहन

सोने की लंका का सम्राट रावण अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत, तपस्वी और प्रकांड विद्वान तथा राजधर्म का ज्ञाता था। कहा जाता है कि रावण अपने दस सिर से 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था। रावण ने ब्रह्माजी की 10 हजार वर्षों तक तपस्‍या की और हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी, इसी तरह जब वह अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए और रावण से वर मांगने को कहा। रावण ने ब्रह्माजी से ऐसा वर मांग लिया की उसे मारना मुश्किल था। चारों वेदों और 6 उपनिषदों का ज्ञान रखने वाले रावण पर जब राम ने विजय प्राप्त की तो इसे विजयादशमी कहा जाने लगा। जिसे विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है। रावण का सर्वनाश उसके क्रोध और अहंकार के कारण हुआ। राम ने जब रावण का वध किया, तो इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा गया। इसी वजह से बुराई रूपी रावण के पुतले के दहन की परंपरा हर साल निभाई जाती है।

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कई शहरों में रावण को पूजा जाता है

मध्य प्रदेश के मंदसौर के खानपुरा में हर वर्ष एक समाज के लोग रावण को जमाई (दामाद) मान कर दशहरा पर पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के नटेरन तहसील में रावण गांव है। इस गांव में ब्राह्मण जाति के कान्यकुब्ज परिवारों का निवास है, ये लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं और रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से करीबन 15 किमी दूर बसे बिसरख गांव को रावण के गांव के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि इसी जगह पर लंकेश का जन्म हुआ था। यहां पर न तो दशहरा मनाया जाता है और न ही रावण के पुतले को जलाया जाता है। 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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