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Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत इन चीजों के बिना रह जाएगा अधूरा, अभी देख लें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट

वट सावित्री व्रत सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन पूजा में क्या आवश्यक सामग्रियां आपको रखनी चाहिए, विस्तार से जानें हमारे लेख में।

Written By: Naveen Khantwal
Published on: June 05, 2024 16:56 IST
Vat Savitri Vrat- India TV Hindi
Image Source : FILE Vat Savitri Vrat

Vat Savitri Vrat: वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा रखा जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखने का विधान है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सुखी दांपत्य जीवन और पारिवारिक सुख की कामना करती हैं। साल 2024 में 6 जून को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करके आपकी सभी कामनाएं पूरी हो सकती हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे वट सावित्री व्रत की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के बारे में। 

वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री

  • धूप, मिट्टी का दीपक, अगरबत्ती, पूजा की थाली
  • सिंदूर, रोली, अक्षत 
  • कलावा, कच्चा सूत, बांस का पंखा, रक्षासूत्र, सवा मीटर कपड़ा
  • बरगद का फल, लाल और पीले रंग के फूल 
  • काला चना भिगोया हुआ, नारियल
  • श्रृंगार सामग्री,
  • पान का पत्ता, बताशा
  • वट सावित्री व्रत कथा की किताब
  • सावित्री और सत्यवान की फोटो 

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

वट सावित्री के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रतियों को स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद वट वृक्ष के पास पहुंचकर सबसे पहले सत्यवान, सावित्री की तस्वीर या प्रतिमा वट वृक्ष की जड़ पर स्थापित करनी चाहिए। इसके बाद धूप, दीप जलाना चाहिए और उसके बाद फूल, अक्षत आदि आर्पित करना चाहिए। इस के उपरांत कच्चे सूत को लेकर कवट वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद अपने हाथ में भीगा हुआ चना आपको लेना चाहिए और वट सावित्री व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको वस्त्र और भीगा हुआ चना अपनी सास को भेंट करना चाहिए, और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इसके बाद वट वृक्ष का फल खाकर व्रत आपको तोड़ना चाहिए। व्रत तोड़ने के बाद सामर्थ्य अनुसार आपको दान भी करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि वट सावित्री व्रत के बाद दान करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। 

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज ने माता सावित्री के पति के पाण वट वृक्ष के नीचे ही लौटाये थे। इसके साथ ही यमराज ने सावित्री को 100 पुत्रों की प्राप्ति का वरदान भी दिया था। माना जाता है कि तब से ही वट सावित्री व्रत रखने की परंपरा शुरू हई और साथ ही वट वृक्षी की भी पूजा की जाने लगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति वट सावित्री का व्रत रखता है और इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करता है उसे यमराज की कृपा के साथ ही त्रिदेवों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन तो सुखी रहता ही है, साथ ही योग्य संतान की प्राप्ति भी होती है। इसलिए आज भी महिलाओं के द्वारा इस दिन व्रत रखा जाता है।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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