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Vat Savitri Vrat 2023: शादी के बाद पहली बार करने जा रही हैं वट सावित्री का व्रत तो इन बातों का रखें खास ध्यान

Vat Savitri Vrat 2023 Puja Niyam: वट सावित्री का व्रत सुहागिनों के सबसे बड़े पर्वों में से एक माना जाता है। ऐसे में अगर आप शादी के बाद पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें। तभी आपका व्रत सफल हो पाएगा।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: May 18, 2023 18:35 IST
Vat Savitri Vrat 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Vat Savitri Vrat 2023

Vat Savitri Vrat 2023: हर सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत काफी महत्वपूर्ण रखता है। मान्यता है कि जो भी विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। वट सावित्री व्रत के हर दिन हर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रख विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं। इस साल सुहागिनों का पर्व वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा। ऐसे में अगर आप शादी के बाद पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं तो पूजा से जुड़े इन नियमों का विशेषतौर पर ध्यान रखें। 

वट सावित्री व्रत नियम

1. व्रत के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद गंगा जल छिड़कर खुद को शुद्ध कर लें। ध्यान रहे कि साड़ी का रंग नीला, काला या सफेद न हो। इन तीनों रंग की कोई चीज चाहे कपड़ा हो या श्रृंगार का सामान उसका बिल्कुल इस्तेमाल न करें। वट सावित्री के दिन सुहाग का शुभ रंग लाल साड़ी ही पहनें। इसके बाद सोलह श्रृंगार करें और पूरी तरह तैयार होने के बाद सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें। इसके बाद बरगद के पेड़ को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें और जल अर्पित करें। 

2. वट या बरगद के पेड़ के नीचे सफाई कर गंगा जल का छिड़काव करें। फिर धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं और वट वृक्ष के चारों तरफ सात बार कच्चा धागा लपेटें और उसकी परिक्रमा करें। वट वृक्ष की पूजा करने करने के बाद सावित्री व्रत कथा जरूर सुनें। फिर पूजा के बाद सावित्री माता और यम देवता से अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करें। 

3. पूजा के बाद अपनी सासु मां को पैसे देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। वहीं पूजा सामग्री किसी ब्राह्मण को दान करें दें। वहीं वट सावित्री का व्रत दूसरे दिन पूजा-पाठ के बाद ही खोलें यानी भोजन ग्रहण करें। 

वट सावित्री व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सावित्री के तप और पतिव्रता से प्रसन्न होकर यमराज ने उनके पति सत्यवान के प्राणों को लौटा दिया था। इतना ही नहीं उन्हें 100 पुत्रों का आशीर्वाद भी दिया था। इसके बाद से ही हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाने लगा। कहते हैं जो भी विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं उसे सुख, समृद्धि, संतान सुख और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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