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Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी कब 8 या 9 दिसंबर? व्रत की डेट को लेकर यहां कंफ्यूजन करें दूर

Utpanna Ekadashi 2023 Date: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से हर दुख-तकलीफ दूर हो जाती है। तो आइए जानते हैं कि दिसंबर में आने वाली उत्पन्ना एकादशी व्रत की सही तिथि क्या है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Dec 01, 2023 10:53 IST, Updated : Dec 01, 2023 10:53 IST
Utpanna Ekadashi 2023
Image Source : INDIA TV Utpanna Ekadashi 2023

Utpanna Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। एकादशी का व्रत हर महीने आता है लेकिन मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी खास होती है। मार्गशीर्ष महीने में उत्पन्ना एकादशी आती है। कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी। इस साल उत्पन्ना एकादशी व्रत की तिथि को लेकर लोगों में आसमंजस की स्थिति बनी हुई है। तो आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत की सही तिथि क्या है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023 की सही तिथि

इस बार मार्गशीर्ष महीने में आने वाली उत्पन्ना एकादशी व्रत की तिथि दो दिनों की पड़ रही है। एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार किया जाता है।  गृहस्थ जीवन वाले उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रख सकते हैं। वहीं न वैष्णव संप्रदाय के लोग 9 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का उपवास रखेंगे। वैष्णव संप्रदाय में संत और सन्यासी आते हैं और उनका एकादशी व्रत करने का नियम अलग होता है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत  2023 मुहूर्त और तिथि

  • एकादशी तिथि आरंभ- 8 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से
  • एकादशी तिथि समाप्त- 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक
  • उत्पन्ना एकादशी व्रत तिथि- 9 और 10 दिसंबर 2023

उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत का पारण का समय

  • 9 दिसंबर को एकादशी व्रत का पारण का समय- 9 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक
  • 10 दिसंबर को वैष्णव एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय- सुबर 7 बजकर 3 मिनट से सुबह 7 बजकर 13 मिनट तक
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 10 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 13 मिनट  पर 

उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा

जो लोग साल भर तक एकादशी व्रत का अनुष्ठान करना चाहते हैं उन्हें मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से ही व्रत शुरू करना चाहिए। दरअसल, एक बार मुर नामक राक्षस ने भगवान विष्णु को मारना चाहा, तभी भगवान के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का वध कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि चूंकि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। इस दिन एकादशी की उत्पत्ति होने से ही इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और आज ही से एकादशी व्रत का अनुष्ठान भी किया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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