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Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी के दिन जरूर करें विष्णु चालीसा का पाठ, श्री हरि की बरसेगी कृपा

Utpanna Ekadashi 2024 Vishnu Chalisa: अगर आप भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन विष्णु चालीसा का पाठ जरूर करें। विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Nov 23, 2024 21:15 IST, Updated : Nov 23, 2024 21:15 IST
Utpanna Ekadashi 2024
Image Source : INDIA TV Utpanna Ekadashi 2024

Utpanna Ekadashi 2024: प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस तरह सालभर में कुल 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसमें मार्गशीर्ष माह के कृ्ष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी। 

इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर 2024 को रखा जाएगा। एकादशी के दिन व्रत कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही सुख-सौभाग्य और समृद्धि में भी बढ़ोतरी होती है। वहीं एकादशी के दिन शिव चालीसा का पाठ करने श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तो एकादशी व्रत के दिन विष्णु चालीसा का पाठ जरूर करें।

।।विष्णु चालीसा का पाठ।।

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥

विष्णु चालीसा

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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