Tulsidas Jayanti 2023: आज गोस्वामी तुलसीदास जी की जंयती है। श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पूरे भारतवर्ष में गोस्वामी तुलसीदास जी की जंयती मनाई जाती है।‘ तुलसीदास जी भगवान राम के चरित्र, उनकी मर्यादा से अत्यंत प्रभावित थे। इसीलिए अनेकों ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने संस्कृत में रचित 'रामायण' को आमजन की भाषा में लिखने के बारे में सोचा और अवधी भाषा में 'श्रीरामचरितमानस' ग्रंथ के माध्यम से श्री राम जी के चरित्र का वर्णन किया।
रामचरितमानस की चौपाईयों का पाठ करके किसी भी परेशानी का हल निकाला जा सकता है। उसमें हर परिस्थिति का भली-भांति वर्णन किया गया है। लिहाजा आज के दिन गोस्वामी तुलसीदास जी की कुछ चौपाईयों का पाठ जरूर करना चाहिए, तो आइए अलग-अलग समस्याओं का समाधान पाने के लिए आज के दिन कौन-सी चौपाई का पाठ करना है यह भी जान लेते हैं।
1. अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है, उसके परीक्षा में अच्छे नंबर नहीं आते तो तुलसीदास जी के विद्या प्राप्ति चौपाई का 21 बार जप कीजिए। चौपाई है- गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। अलपकाल विद्या सब आई।।
2. समाज में, अपने परिवार में या अपने रिश्तेदारों के साथ रिश्ते अच्छे करने के लिए, आपस में प्रेम-भाव बढ़ाने के लिए। इस चौपाई का 11 बार जाप करें। चौपाई है- सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
3. अच्छे स्वास्थ्य की कमना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए या उनसे बचने के लिए इस चौपाई का 11 बार जप करें। चौपाई है- दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहिं व्यापा।।
4. संतान की इच्छा रखने वाले दम्पतियों को आज के दिन इस चौपाई का 51 बार जप करना चाहिए। चौपाई है - प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान ।।
5. अचानक आये संकटों से बचने के लिए इस चौपाई का 108 बार जप करें। चौपाई है - दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
तुलसीदास जी के प्रसिद्ध दोहे
1. काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान ।
तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान ।।
2. तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
3. तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत,राम भरोसे एक ।।
4. हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।
5. जिमि सरिता सागर महुं जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएं।
धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं।।