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Tuesday Mythology Story: बजरंगबली का नाम कैसे पड़ गया हनुमान? जानें इसके पीछे का पूरा कारण

आज मगंलवार का दिन है इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा की जाती है। भगवान राम के परम सेवक हनुमान जी की पूजा करने से जीवन के सारे संकट मिट जाते हैं। वैसे तो इन्हें मारुति, अंजनी पुत्र, पवनपुत्र अन्य कई नामों से जाना जाता है। लेकिन इनका सबसे लोक प्रसिद्ध नाम हनुमान कैसे पड़ा आइये जानते हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 14, 2023 18:03 IST
Tuesday Mythology Story- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Tuesday Mythology Story

Tuesday Mythology Story: हनुमान जी को कलयुग में सबसे जागृत देव कहा गया है। भगवान राम ने अयोध्या के गुप्तार घाट पर पावन सरयू में जलसमाधि लेने से पहले हनुमान जी से कहा था कि, आपको कलयुग तक पृथ्वी लोक पर रहना होगा और जो भक्ति-भाव से पूजा-पाठ करेंगे, उनकी रक्षा आपको करनी होगी। भला अपने आराध्य श्री राम के दिए आदेश को हनुमान जी कैसे न स्वीकारते।

वैसे तो हनुमान जी के जन्म का उद्देश ही राम काज करना था। इसलिए कहा जाता हैं, राम काज करिबे को आतुर अर्थात हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम के कार्य को करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। देखा जाए तो, हनुमान जी के कई नाम हैं। लेकिन उनका नाम हनुमान कैसे पड़ा इसके पीछे एक रोचक कथा है, जो उनके बचपन से जुड़ी हुई है। आज हम आपको उसी कथा के अनुसार बताने जा रहे हैं कि, आखिर ऐसा क्या हुआ था कि उनका नाम हनुमान पड़ गया।

बचपन में हनुमान जी सूर्य देव को फल समझ बैठे थे

बचपन में हनुमान जी का नाम मारुति था। एक बार बचपन में उनको बहुत जोर से भूख लगी थी। उन्होनें ऊपर आकाश में देखा तो सूर्य देव को फल समझ बैठे। उसी समय हनुमान जी का मन हुआ की इस फल को खा लें। उन्होनें एक छलांग लगाई और सूर्य देव को मुख में रख लिया। सूर्य देव को मुख में रखते ही पूरे संसार में अंधेरा छा गया। देवता सहित सृष्टि का संपूर्ण मानव जीवन परेशान हो गया। तब देवताओं ने हनुमान जी से विनती की, है मारुति जिन्हें आप फल समझ कर अपने मुख में रखें हैं वो जगत को प्रकाश देने वाले सूर्य देव हैं। बाल हनुमान जी ने अपनी हठ के चलते किसी की न सुनी। फिर इंद्र देव ने हनुमान जी पर अपने वज्र से उनकी ठुड्डी पर प्रहार किया। संस्कृत में ठुड्डी को हनु कहते हैं। जिस कारण उनका नाम हनुमान पड़ गया। 

हनुमान चालीसा की चौपाई के अनुसार

सूर्य देव को फल समझ कर खाने की बात हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी वर्णित है।

चौपाई इस प्रकार से -

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू

इस चौपाई में यही लिखा है कि हनुमान जी बचपन में सूर्य देव को मीठा फल समझ कर खा लिया था।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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