हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी मनायी जाती है। कल भगवान गणेश की पूजा का विधान है। हमारी संस्कृति में गणेश जी को प्रथम पूजनीय का दर्जा दिया गया है। किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा का ही विधान है। कल सोमवार के दिन वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी पड़ रही है। आप लोगों को पता ही होगा कि सप्ताह के सातों दिनों का संबंध किसी न किसी देवी-देवता से है और सोमवार का संबंध भगवान शंकर से है। लिहाजा कल के दिन भगवान गणेश की उपासना के लिये बड़ा ही अच्छा है। क्योंकि यह दिन उनके पिता शंकर को समर्पित है। लेकिन गणेश भगवान का आशीर्वाद भी आपको मिलेगा।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल विनायक चतुर्थी तिथि 26 दिसंबर 2022 को सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 27 नवंबर 2022 को 1 बजकर 37 मिनट पर इसका समापन होगा।विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11:20 - दोपहर 01:24 तक (27 नवंबर 2022)
पूजा विधि
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहने। इसके बाद पूजा-घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़के। भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के बाद उन्हें फल और मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें। फिर व्रत का संकल्प लें और संध्या काल में चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें। इन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश जी की उपासना शीघ्र फलदायी मानी गयी है और कल के दिन गणेश जी के निमित्त व्रत करने से व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही हर तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और धन-संपत्ति में भी बढ़ोतरी होती है
मिलता है बप्पा का आशीर्वाद
श्री गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना गया है| विनायक चतुर्थी का पूजा मुहूर्त और गणेश जी की उपासना शीघ्र फलदायी मानी गयी है और कल के दिन गणेश जी के निमित्त व्रत करने से व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही हर तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और धन-संपत्ति में भी बढ़ोतरी होती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।