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स्वामी रामभद्राचार्य ने मनुवाद पर दिया बड़ा बयान, मोहन भागवत को भी दी नसीहत

स्वामी रामभद्राचार्य ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने संघ प्रमुख को भी एक नसीहत दी। साथ ही मनुस्मृति को लेकर भी कई भ्रांतियां दूर कीं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 16, 2025 15:22 IST, Updated : Jan 16, 2025 16:04 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INDIA TV स्वामी रामभद्राचार्य

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने आज इंडिया टीवी से खास बातचीत की। उन्होंने इंडिया टीवी से खास बातचीत पर मनुवाद और मंदिर-मस्जिद विवाद पर अपने बयान दिए। उन्होंने मोहन भागवत के उस बयान पर भी अपनी राय रखी जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदूओं को हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं है। इस पर रामभद्राचार्य ने कहा कि हमने हर मस्जिद में मंदिर नहीं ढूंढा, जहां मंदिर थे, वहीं दावा कर रहे। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वे पूरे हिंदूओं को संरक्षक नहीं हैं वे अपने संघ के संरक्षक हैं।

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महाकुंभ पर्व क्यों विशेष हैं

जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत लेकर धन्वंतरि प्रकट हुए तो इंद्र के आदेश पर जयंत लेकर उड़ गया तभी दैत्यों ने देख लिया और 12 दिन तक दैत्यों से जयंत युद्ध करते रहे। युद्ध के बाद अमृत कलश दैत्य छीन ले गए। फिर श्री हरि ने मोहिनी रूप धर दैत्यों से अमृत वापस लिया था। जयंत ने युद्ध के दौरान 4 जगहों पर अमृत का कलश रखा था, इस कारण यह महा कुंभ 4 जगहों पर लगता है।

आरक्षण खत्म करे सरकार

सरकार जाति के आधार पर आरक्षण खत्म करे तो जातिवाद अपने-आप खत्म हो जाएगा। सरकार को आर्थिक रूप से आरक्षण देना चाहिए मैं हमेशा कहता हूं। लेकिन सरकार को अपने वोट की चिंता है। मनुस्मृति को बदनाम करने के लिए कुछ अंश डाले गए, बहुत से अंश डाले गए।

मनुस्मृति को बदनाम किया गया

जैसे बाह्मण के नाम में मंगल और क्षत्रिय के नाम में पराक्रम और वेश्य के नाम में गुप्त और शुद्र के नाम में दास होना चाहिए। ये मनुस्मृति में जोड़ा गया अगर ये होता तो राम के नाम में वर्मा लिखा होगा कहीं आपने ये सुना की रामचंद्र वर्मा, या फिर गुप्त शब्द वैश्य के लिए होता तो चाणक्य को विष्णु गुप्त क्यों कहा जाता है। यदि शुद्र को दास कहा जाता है तो देव दास नाम के राजा क्यों हुए। ये सब बाद में जोड़ा गया।

अंबेडकर साहब को संस्कृत आती तो नहीं जलाते मनुस्मृति

अंबेडकर साहब खुद कहते हैं उन्हें संस्कृत नहीं आता था, कहते हैं उन्हें पढ़ने से रोक दिया गया था। अरे जो पढ़ेगा उन्हें कौन रोकेगा। संस्कृत जानते होते अंबेडकर साहब तो मनुस्मृति कभी नहीं जलाते। जबकि अंबेडकर साहब बहुत अच्छे आदमी थे। उन्होंने अंग्रेजी के सिद्धांत पढ़े क्योंकि जिसने अंग्रेजी अनुवाद किया था वो था मैक्समूरन। वो हिंदू धर्म का विरोधी था।

मनुस्मृति को लेकर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि मनुस्मृति में स्त्रियों का अपमान नहीं किया गया। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः अर्थात्- जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।

संघ प्रमुख हिंदूओं को अनुशासन न करें

रामभद्राचार्य से पूछा गया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि पहली बात संघ प्रमुख को हिंदू धर्म को अनुशासन देने की आवश्यकता नहीं है, वो हमारे धर्म के अनुशासित नहीं है, और दूसरी बात हमने हर मस्जिद में मंदिर नहीं ढूंढा, जैसे संभल में। हम प्रत्येक मस्जिद में मंदिर नहीं खोज रहे, जहां-जहां हमें मंदिर मिलेंगे वहां-वहां हम अधिकार जताएंगे।

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