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शारदीय नवरात्रि में मां मुंडेश्वरी धाम में उमड़ती है भक्तों की भीड़, अहिंसक बलि देखने के लिए विदेशों से भी आते हैं लोग

Mundeshwari Temple: बिहार के मुंडेश्वरी धाम मंदिर में बकरों की एक अनूठी बलि दी जाती है, जिसे देखने दुनियाभर से भक्तगण आते हैं। तो चलिए आज जानते हैं इस प्रसिद्ध देवी शक्तिपीठ मंदिर के बारे में।

Edited By: Vineeta Mandal
Updated on: October 19, 2023 14:08 IST
Mundeshwari Temple- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mundeshwari Temple

Shardiya Navratri 2023: कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती हैं। यहां  देश ही नहीं विदेशों से भी लोग अहिंसक बलि देखने आते हैं। मां मुंडेश्वरी बकरे की बलि रक्त विहीन लेती हैं ऐसा पूरे विश्व में किसी भी मंदिर में नहीं होता है। यह मंदिर 535 ईसा पूर्व का बताया जाता है। कहते हैं कि मुंड नामक राक्षस का वध करने के कारण इनका नाम मां मुंडेश्वरी पड़ा जो पार्वती के रूप में है। शारदीय नवरात्र में बढ़ते भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिकोण से 15 पवाइंट बनाए गए हैं जहां पर पुलिस मजिस्ट्रेट के साथ धार्मिक न्यास परिषद के वालंटियर भी कार्य कर रहे हैं जो वाकी टाकि से लैस है। मां मुंडेश्वरी मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है।

मां मुंडेश्वरी धाम में दी जाती है अनोखी बकरे की बलि

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भी भक्त सच्चे दिल से माता मुंडेश्वरी के द्वार पर मत्था टेकनें आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। माता के मंदिर में भक्तों की मांगीं मन्नत पूरी होने के बाद मां के चरणों में बकरा की बलि दी जाती है।  धार्मिक न्यास परिषद के सचिव के भाई विनोद कुमार ने जानकारी देते हुए बताया मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में पशु बलि अहिंसक होती है ऐसा बोली पूरे विश्व में कहीं नहीं होता, जिसे देखने के लिए बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं। जो लोग नहीं देखते हैं उन्हें यकीन नहीं होता है कि ऐसा भी हो सकता है। सिर्फ अक्षत फूल मारने से बकरा मूर्छित हो जाता है और मां के चरणों में गिर जाता है तो पुनः वहां के पुजारी द्वारा अक्षत फूल मारने पर वही बकरा उठ खड़ा हो जाता है, जो पूरे विश्व में ऐसा कहीं नहीं होता।

मां मुंडेश्वरी धाम के लेखपाल गोपाल कुमार ने जानकारी देते हुए बताया 535 ईसा पूर्व में यह मंदिर मिला है मुंड नामक राक्षस का वध करने के कारण इनका नाम मुंडेश्वरी पड़ा, जो पार्वती स्वरूप में है। नवरात्र के पहले दिन ही बेल्जियम से एक महिला यहां पर आई थी। उन्होंने बताया था कि इंस्टाग्राम पर मां मुंडेश्वरी का पोस्ट देखा इसके बाद वह यहां पहुंची देखने के लिए। मां मुंडेश्वरी धाम के पुजारी मुन्ना द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह सबसे प्राचीन मंदिर है। यहां माता पार्वती के रूप में विराजमान है। मंदिर परिसर में भगवान शिव भी मौजूद है शिव-पार्वती का मंदिर है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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