Shardiya Navratri 2022 Maa Chandraghanta: देश में शारदीय नवरात्रि की धूमधाम से शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है। आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है, आज मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। माँ चंद्रघंटा मां दुर्गा के तीसरे रूप का नाम है। मां चंद्रघंटा शान्ति का प्रतीक हैं इनकी पूजा करने से भक्तों को पूर्ण रूप से आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र के बारे में।
मां चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल तृतीया तिथि आरंभ: 28 सितंबर 2022, सुबह 02:28
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त: 29 सितंबर 2022, सुबह 01:27
मां चंद्रघंटा की पूजा का सुबह मुहूर्त: 04.42 AM - 05.30 AM
शाम का मुहूर्त: 06.05 PM - 06.29 PM
रात का मुहूर्त: 09.12 PM - 10.47 PM
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीप प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
मां चंद्रघंटा का भोग
देवी दूध से बनी मिठाई जैसे खीर और रबड़ी का भोग लगाएं। मान्यता है इससे शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। साधक को आध्यात्मिक शांति मिलती है ।
इन लोगों को विशेष तौर पर करनी चाहिए मां चंद्रघंटा की पूजा
जिन लोगों की कुंडली में शुक्र और मंगल कमजोर हो, उन्हें मां चंद्रघंटा की पूजा ज़रूर करनी चाहिए। इससे मंगल और शुक्र ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं। देवी के इस रूप की पूजा से साधक के सारे पाप खत्म हो जाते हैं। मां की कृपा से उसे कभी बुरी शक्तियां परेशान नहीं करती।
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मां चंद्रघंटा मंत्र
मां चंद्रघंटा का मंत्र जपने से दुखों का निवारण होगा। इन मंत्रो का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
ऐ श्रीं शक्तयै नम:
ऊं ठं ठं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तं ह्रीं वाचम् मुखम् पदम् स्तम्भय स्तम्भय ह्रीं ह्रीं जिह्वाम कीलय कीलय ह्रीं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ऊं ठं ठं स्वाहा ।।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां चंद्रघंटा का नाम कैसे पड़ा?
10 भुजाओं वाली शेर पर सवार देवी चंद्रघंटा के रूप अलौकिक हैं। माँ चंद्रघंटा ने अपने सभी हाथों में त्रिशूल, तलवार, धनुष, गदा लिया है। उन्होंने दुष्टों का संहार करने के लिए ये रूप लिया था। माँ के माथे पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र स्थापित है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता। माता ने दैत्य और असुरों का वध करने के लिए अवतार लिया था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)