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Shani Pradosh Vrat: कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shani Pradosh Vrat: प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है, यानी कि एक महीने में यह दो बार पड़ता है। जानिए शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Sushma Kumari Published : Oct 21, 2022 17:07 IST, Updated : Oct 21, 2022 17:39 IST
Shani Pradosh Vrat
Image Source : INDIA TV Shani Pradosh Vrat

Shani Pradosh Vrat:  प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है, यानी कि एक महीने में यह दो बार पड़ता है। साथ ही वार के हिसाब से यह जिस दिन पड़ता है, उसी के अनुसार इसका नामकरण होता है। जैसे आज शनिवार का दिन है, इसलिए आज का प्रदोष शनि प्रदोष व्रत है। वैसे तो हर प्रदोष में भगवान शंकर की पूजा की जाती है, लेकिन शनि प्रदोष होने से आज के दिन शनिदेव की विशेष रूप से उपासना की जायेगी। आज के दिन शनिदेव की उपासना व्यक्ति की सारी इच्छाओं को पूरा करने वाली और जीवन से हर तरह की नेगेटिविटी को दूर करने वाली है। अत: आज के दिन शनिदेव की उपासना करके कैसे आप अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और अपने आस-पास की हर बुराई से छुटकारा पा सकते हैं, साथ ही अपने दाम्पत्य जीवन में खुशहाली बरकरार रख सकते हैं। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व। 

शनि प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त  (Shani Vrat 2022 Shubh Muhurat) 

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 22 अक्टूबर 2022, शाम 6 बजकर 2 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्त - 23 अक्टूबर 2022, शाम 6 बजकर 3 मिनट तक
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त - 22 अक्टूबर को शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजकर 36 मिनट तक है। 

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शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। 
  • इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और शिव जी की उपासना करें।
  • इस दिन दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। 
  • उसके बाद शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। 
  • सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
  • शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। 
  • अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें।  

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शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Importance)

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है साथ ही रोग, ग्रह दोष, कष्ट, आदि से मुक्ति मिलती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण होता है। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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