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Shani Pradosh Vrat 2023: आज है शनि प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Shani Pradosh Vrat 2023: इस प्रदोष व्रत में शिवजी के साथ शनि देव की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। वहीं प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा करने का विशेष महत्व है।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: July 01, 2023 6:39 IST
Shani Pradosh Vrat 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shani Pradosh Vrat 2023

Shani Pradosh Vrat 2023 Significance: आज यानी 1 जुलाई 2023 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का विधान है। बता दें कि हर महीने में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इन दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत जिस दिन पड़ता है, उसी के अनुसार इसका नाम होता है। आज शनिवार का दिन है, इसलिए इसबार शनि प्रदोष व्रत है। शनि प्रदोष के दिन भगवान शंकर के साथ ही शनि देव की पूजा का अत्याधिक महत्व है।

प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त 

  • आषाढ़ शुक्‍ल की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 1 जुलाई को  1 बजकर 16 मिनट से
  • आषाढ़ शुक्‍ल की त्रयोदशी तिथि समापन-  रात में 11 बजकर 6 मिनट पर 

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करने से जीवन सुखमय हो जाता है। घर-परिवार में धन-धान्य और सुख समृद्धि बनी रहती है। वहीं इस बार शनि प्रदोष है तो आज के दिन शनि देव की उपासना करना बिल्कुल न भूलें। आज के दिन शनि देव की पूजा करने से जीवन में आ रही सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही शनि दोष के प्रभावों से भी राहत मिलती है। मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें
  • पूजा स्थल या मंदिर को साफ कर गंगाजल छिड़कर कर शुद्ध कर लें
  • अब शिवजी को बेलपत्र, धूप, फल, अक्षत, सफेद चंदन अर्पित करें
  • भोलेनाथ के सामने एक दीपक जला कर रख दें
  • प्रदोष व्रत का संकल्प लें
  • अब शिव चालीसा, मंत्र का जाप करें, प्रदोष व्रत कथा सुनें
  • शिवजी की आरती अवश्य करें 
  • संभव हो तो शाम के समय किसी शिव मंदिर में जाएं
  • शाम के वक्त पीपल के पेड़ के नीचें सरसों तेल का दीया जलाएं
  • शनि मंदिर जाकर भी दीया जलाएं

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का महत्व

प्रदोष व्रत में भी प्रदोष काल का महत्व होता है। प्रदोष काल उस समय को कहा जाता है, जब दिन छिपने लगता है, यानि सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है । त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में सुख ही सुख मिलता है। लिहाजाआज के दिन शिव प्रतिमा के दर्शन अवश्य ही करने चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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