Shani Pradosh Vrat 2022: प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इन दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है और प्रदोष व्रत में भी प्रदोष काल का महत्व होता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, प्रदोष काल उस समय को कहा जाता है, जब दिन छिपने लगता है, यानी सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है।
वैसे तो हर प्रदोष में भगवान शंकर की पूजा की जाती है, लेकिन शनि प्रदोष होने से इस दिन शनिदेव की विशेष रूप से उपासना की जायेगी। इस दिन शनिदेव की उपासना व्यक्ति की सारी इच्छाओं को पूरा करने वाली और जीवन से हर तरह की नेगेटिविटी को दूर करने वाली है। अत: इस दिन शनिदेव की उपासना करके कैसे आप अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और अपने आस-पास की हर बुराई से छुटकारा पा सकते हैं, साथ ही अपने दाम्पत्य जीवन में खुशहाली बरकरार रख सकते हैं। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
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कब है शनि प्रदोष व्रत 2022 (Shani Pradosh Vrat 2022 Date)
शनि प्रदोष व्रत 5 नवंबर 2022 को किया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है। कहा जाता है कि जो भोलेनाथ की पूर्ण श्रद्धा से आराधना करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
शनि प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त (Shani Vrat 2022 Shubh Muhurat)
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 05 नवंबर 2022 को शाम 05 बजकर 06 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 06 नवंबर 2022, रविवार को शाम 04 बजकर 28 मिनट पर
शनि प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त - 05 नवंबर को शाम 5 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक है।
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शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और शिव जी की उपासना करें।
- इस दिन दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- उसके बाद शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें।
- सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें।
- अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Importance)
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है साथ ही रोग, ग्रह दोष, कष्ट, आदि से मुक्ति मिलती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण होता है।