Friday, December 27, 2024
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Sawan Somvar: आज जरूर पढ़ें सावन सोमवार व्रत की कथा, शिवजी पूरी करेंगे हर अधूरी मुराद!

Sawan 2023: आज सावन का पहला सोमवार का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में इस पावन दिन सोमवार व्रत की कथा जरूर पढ़ें। इसे सुनकर आपको जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Jul 10, 2023 12:48 IST, Updated : Jul 10, 2023 12:53 IST
Sawan 2023
Image Source : INDIA TV Sawan 2023

Sawan Somwar Vrat Katha: आज सावन माह का पहला सोमवार का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन शिवजी की विधिपूर्वक पूजा करने से मन की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आपको बता दें कि इस साल का सावन बेहद खास है, क्योंकि इस बार एक नहीं बल्कि दो महीने का सावन रहेगा। वहीं 4 की जगह 8 सोमवार का व्रत रखा जाएगा। कहते हैं कि सावन सोमवार का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सावन सोमवार व्रत रखने से घर पर भोलेनाथ और मां पार्वती की अपार कृपा बरसती है। सोमवार का व्रत आपको जीवन की कई समस्याओं से भी छुटकारा दिला सकता है। ऐसे में आज यहां पढ़िए सावन सोमवार व्रत की कथा।

सावन सोमवार व्रत कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, एक धनी व्यापारी था वह भगवान शिव का बहुत ही बड़ा भक्त था। उसे धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। लेकिन इतना सब होने के बाद भी व्यापारी काफी दुखी रहता था। दरअसल, उसकी कोई संतान नहीं थी। पुत्र की चाह के लिए वह दिन-रात महादेव भोले शंकर की आराधना किया करता था। साथ ही हर सोमवार को व्रत और विधि विधान के साथ शिवजी की पूजा करता था। व्यापारी की भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि यह व्यापारी आपका सच्चा भक्त है प्रभु आप इसकी मनोकामना पूर्ण कर दीजिए। तब शिवजी ने माता पार्वती से कहा कि हे पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है। यह इसी से दु:खी रहता है। तब मां पार्वती ने कहा कि प्रभु तो इसे पुत्र का वरदान दे दीजिए। इस पर महादेव ने कहा कि  हे पार्वती साहूकार के भाग्‍य में पुत्र का योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मिल भी गया तो वह केवल 12 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा। यह सुनने के बाद भी माता पार्वती ने कहा कि हे प्रभु आपको इस साहूकार को पुत्र का वर देना ही होगा अन्‍यथा भक्‍त क्‍यों आपकी सेवा-पूजा करेंगे? माता के बार-बार कहने से भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का वरदान दिया। लेकिन यह भी कहा कि वह केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

शिवजी के वरदान से व्यापारी खुश तो हुआ लेकिन बेटे की अल्पायु सोचकर काफी दुखी भी हो गया। बेटे के जन्म के बाद भी व्यापारी नियमित रूप से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और सोमवार का व्रत रखता रहा। इसके बाद बेटे के 11 वर्ष होते ही व्यापारी ने उसे उसके मामा के साथ काशी भेज दिया। साथ ही बेटे के मामा से कहा कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ और रास्‍ते में जिस भी स्‍थान पर रुकना वहां यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए आगे बढ़ना। रास्‍ते में एक राजकुमारी का विवाह था। जिससे उसका विवाह होना था वह एक आंख से काना था। तो उसके पिता ने जब अति सुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उनके मन में आया कि क्‍यों न इसे ही घोड़ी पर बिठाकर शादी के सारे कार्य संपन्‍न करा लिए जाएं। तो उन्‍होंने मामा से बात की और कहा कि इसके बदले में वह अथाह धन देंगे तो वह भी राजी हो गए।

इसके बाद साहूकार का बेटा विवाह की बेदी पर बैठा और जब विवाह कार्य संपन्‍न हो गए तो जाने से पहले उसने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के साथ भेजेंगे वह तो एक आंख का काना है। इसके बाद वह अपने मामा के साथ काशी के लिए चला गया। उधर जब राजकुमार ने अपनी चुनरी पर यह लिखा हुआ पाया तो उसने राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। तो राजा ने भी अपनी पुत्री को बारात के साथ विदा नहीं किया। बारात वापस लौट गई। उधर मामा और भांजे काशीजी पहुंच गए।

एक दिन काशी में यज्ञ के दौरान भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर जाकर देखा तो भांजे के प्राण निकल चुके थे। मामा ने रोना-पीटना मचाया। उसी वक्त वहां से शिव-पार्वती जा रहे थे तो माता पार्वती ने शिवजी से पूछा हे प्रभु ये कौन रो रहा है? तभी उन्‍हें पता चलता है कि यह तो शिवजी के आर्शीवाद से जन्‍मा व्यापारी का पुत्र है। तब माता पार्वती ने कहा स्‍वामी इसे जीवित कर दें अन्‍यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण निकल जाएंगे। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी सो वह भोग चुका है।

लेकिन मां के बार-बार कहने पर भोलेनाथ ने उसे जीवित कर दिया। व्यापारी का पुत्र ओम नम: शिवाय करते हुए जी उठा और मामा-भांजे दोनों ने ईश्‍वर को धन्‍यवाद दिया, और अपनी नगरी की ओर लौटे। रास्‍ते में वही नगर पड़ा और राजकुमारी ने उन्‍हें पहचान लिया तब राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ बहुत सारे धन-धान्‍य के साथ विदा किया। इसके बाद वो अपने गांव पहुंचे जहां साहूकार अपने बेटे और बहु को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ। उसी रात साहूकार को स्‍वप्‍न ने शिवजी ने दर्शन दिया और कहा कि तुम्‍हारे पूजन से मैं प्रसन्‍न हुआ। इसी प्रकार जो भी व्‍यक्ति इस  कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। साथ ही हर अधूरी इच्छा पूरी हो जाएगी।

सावन माह का महत्व

सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने से मनचाही इच्छा जल्द ही पूरी होती है। साथ ही सावन माह में नित्य रूप से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।  सावन महीने के सोमवार के दिन जो व्यक्ति विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करता है और व्रत करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। वहीं जिन कन्याओं को अच्छे वर की चाहत है या जो महिलाएं अपने पति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखना चाहती हैं, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए। साथ ही पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडियाटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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