Saubhagya Sundari Vrat 2022: इस साल 11 नवंबर को सौभाग्य सुंदरी का व्रत रखा जाएगा। हिंदू पंचांग अनुसार मार्गशीर्ष महीने के दौरान 'कृष्ण पक्ष' की तृतीया तिथि को इस व्रत को रखा जाता है। तृतीया तिथि, माता गौरी की जन्म तिथि मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी तिथि को मां पार्वती ने अपनी कठिन तप से शिवजी को वर के रूप में प्राप्त किया था। इसके बाद गणेश और कार्तिकेय दोनों बेटे का जन्म हुआ। कहा जाता है कि तभी से मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत की परंपरा शुरू हुई।
सौभाग्य सुंदरी पूजा सामग्री
- कुमकुम
- रोली
- मौली
- अक्षत
- बेलपत्र
- फूल माला,
- पान- सुपारी
- लौंग,हरी इलाचयी, बताशा
- आक के फूल
- सफेद चंदन
- पूजा की चौकी
- लाल कपड़ा
- धूप-दीप,
- कपूर
- नारियल
- मिठाई
- फल
सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा विधि
- मंदिर स्थल पर भगवान शिव एवं देवी की प्रतिमा को स्थापित करें और दीपक जलाएं।
- अब मां पार्वती-महादेव को मोली, रोली, चावल, सुपारी और पान अर्पित करें।
- भगवान शिव परिवार के साथ नौ ग्रहों की भी पूजा करें।
- माता पार्वती को सुहाग की सामग्री भी चढ़ाएं।
- पूजा के बाद अपने परिवार की खुशहाली की कामना करें।
सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत का महत्व
सौभाग्य सुंदरी का व्रत 'तीज' और 'करवा चौथ' के समान ही महत्वपूर्ण होता है। सौभाग्य सुंदरी व्रत जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य लाने के लिए मनाया जाता है। महिलाएं पति और संतान सुख लिए पूजा-अनुष्ठान कार्य करती हैं। अविवाहित कन्याएं इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत को विवाह दोष से मुक्त होने और विवाह में देरी को दूर करने के लिए भी रखा जाता है। 'मांगलिक दोष' और कुंडली में प्रतिकूल ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए भी यह व्रत किया जाता है। सौभाग्य सुंदरी व्रत महिलाओं के लिए 'अखंड सौभाग्य का वरदान' होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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