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Sata Yug: त्रेता में जन्मे राम, द्वापर में आए श्रीकृष्ण, जानें इनसे पहले आया सतयुग कैसा था

Sata Yug: हिंदू धर्म में मुख्य रूप से चार युगों का उल्लेख मिलता है। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। धर्म शास्त्रों के जानकार कहते हैं कि सतयुग में भगवान विष्णु के चार अवतार आए थे। इसके बाद त्रेता में राम और द्वापर में श्री कृष्ण का जन्म हुआ।

Edited By: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Published : Oct 31, 2022 19:16 IST, Updated : Oct 31, 2022 19:16 IST
Sata Yug- India TV Hindi
Image Source : SOURCED Sata Yug

Sata Yug: हिंदू धर्म में विशेष रूप से चार युगों का वर्णन मिलता है। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और अभी जो चल रहा है, उसे कलियुग के रूप में परिभाषित किया गया है। ऐसी मान्यता है कि कलियुग समाप्त होने के बाद सबकुछ नष्ट हो जाएगा और फिर से एक नए जीवन की पृष्ठभूमि तैयार होगी। कलियुग का अंत होने पर भगवान विष्णु का कल्कि अवतार देवदत्त घोड़े पर आएगा और पापियों का नाश करके सनातन धर्म की पुन: स्थापना करेगा।

हिंदू धर्म के अनुसार, त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। जबकि द्वापर युग में श्री हरि कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे। अब विष्णु जी का कल्कि अवतार आने वाला है। इन तीनों ही युगों के बारे में आपने बहुत किस्से, कहानियां सुनी होंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तीनों युगों से पहले आया सतयुग कैसा था। क्यों सतयुग को अब तक का सबसे अच्छा युग माना जाता है? आइए आज आपको इसी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

17 लाख साल पुराना है सतयुग

सतयुग का इतिहास कोई 17 लाख साल पुराना बताया जाता है। इसे कृत युग भी कहा जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि सतयुग में पाप बहुत निचले स्तर पर था या यूं कहें कि न के बराबर था। इसे सच्चाई, तपस्या, अनुष्ठान और दान का युग कहा जाता है। सतयुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया पर्व से हुआ था। इस युग के लोगों की आयु बहुत लंबी होती थी और उनका कद बहुत लंबा होता था। वे ज्ञान व तपस्या से परिपूर्ण थे। सतयुग की मुद्रा रत्ममय थी और इसमें स्वर्ण के पात्र का प्रयोग होता था।

सतयुग में भगवान विष्णु के अवतार

ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में भगवान विष्णु ने कुल चार अवतार लिए थे। इस युग में श्री हरि ने मत्सय, कूर्म, वाराह और नृसिंह का अवतार लिया था। भगवान ने ये अवतार क्रमश: शंखासुर का वध, वेदों के उद्धार, पृथ्वी का भार हरण और हिरण्यकश्यप का वध करने के उद्देश्य से लिए थे। भगवान श्रीराम के राजा हरीशचंद्र की कहानी भी सतुयग से जोड़कर देखी जाती है। सतयुग का समापन होने के बाद त्रेता युग और फिर द्वापर युग आया।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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