Wednesday, November 13, 2024
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Rudrabhishek: भगवान शिव का रुद्राभिषेक कैसे किया जाता है? यह कितने प्रकार का होता है, जानें इसके नियम और मंत्र

Sawan 2024 Rudrabhishek: रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक कराने से घर से सारे गृह-क्लेश, दुख, दरिद्रता दूर हो जाती है। सावन में रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

Written By : Chirag Bejan Daruwalla Edited By : Vineeta Mandal Updated on: July 22, 2024 12:28 IST
Rudrabhishek Significance- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rudrabhishek Significance

Rudrabhishek Significance: रुद्राभिषेक का सीधा संबंध भगवान शिव से है, उन्हें रुद्र अवतार भी माना जाता है। रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र का अभिषेक यानि भगवान शिव का अभिषेक। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मनुष्य द्वारा किए गए पाप ही उसके दुखों का कारण बनते हैं। मान्यता है कि अगर व्यक्ति की कुंडली में मौजूद पापों से मुक्ति पाने के लिए रुद्राभिषेक किया जाए तो इससे विशेष लाभ मिलता है। इसके साथ ही इस क्रिया के जरिए व्यक्ति अपने निजी जीवन से जुड़े दुखों से भी आसानी से मुक्ति पा सकता है। भोलेनाथ को बहुत दयालु माना जाता है। अपने भक्तों की भक्ति को देखकर वे जल्द ही उन पर कृपा करते हैं और उनके सभी दुखों को दूर करते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको रुद्राभिषेक से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए ज्योतिषाचार्य चिराग दारूवाला से जानते हैं रुद्राभिषेक का महत्व और इसके लाभ के बारे में।

रुद्राभिषेक के प्रकार

रुद्राभिषेक मुख्यतः 6 प्रकार से किया जाता है। जल अभिषेक, शहद अभिषेक, दही अभिषेक, दूध अभिषेक, पंचामृत अभिषेक, घी अभिषेक।

रुद्राभिषेक विधि

रुद्राभिषेक किसी भी सोमवार को किया जा सकता है लेकिन सावन सोमवार के दिन करना अति उत्तम माना जाता है। रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले पूजा घर या उस स्थान को साफ-सुथरा और गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें जहां शिवलिंग स्थापित करना है। इसके बाद अब शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और आपका मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।

श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें। फिर इसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध, जल, पंचामृत आदि जितने तरल पदार्थ हैं, इससे शिवलिंग का अभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥' का जाप करते रहें। महामृत्युंजय मंत्र के अलावा शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या रुद्रामंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और बेलपत्र, सुपारी, पान, भोग और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।  शिवलिंग के पास धूप-दीप जलाएं।  महादे के मंत्र का 108 बार जाप करें और पूरे परिवार समेत शिव जी की आरती करें। रुद्राभिषेक के जल को किसी पात्र में रखकर पूरे घर में छिड़क दें। फिर इसी जल को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करें।

रुद्राभिषेक से जुड़े नियम

  • रुद्राभिषेक करने का सबसे अच्छा तरीका है किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करना।
  • शिव का जो मंदिर किसी नदी के किनारे या पहाड़ के किनारे स्थित है, वहां स्थित शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना बहुत फलदायी साबित हो सकता है।
  • मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग का अभिषेक भी फलदायी साबित हो सकता है।
  • अगर आपके घर में शिवलिंग स्थापित है, तो आप घर पर भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
  • इसके अलावा अगर आपको शिवलिंग नहीं मिलता है तो आप अपने हाथ के अंगूठे को शिवलिंग मानकर उसका भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
  • अगर आप जल से रुद्राभिषेक कर रहे हैंतो इसके लिए तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करें।
  • रुद्राभिषेक के दौरान रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का जाप करना फलदायी साबित होता है।

रुद्राभिषेक का महत्व

जब कोई व्यक्ति किसी विशेष परिस्थिति या समस्या से ग्रसित होता है तो ऐसी स्थिति में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से उन समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा की यह विधि बहुत ही प्रभावशाली और फलदायी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राभिषेक के माध्यम से व्यक्ति अपने पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति पा सकता है। व्यक्ति जिस कामना के लिए रुद्राभिषेक कर रहा है, उससे संबंधित द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

रुद्राभिषेक मंत्र 

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च

मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः
सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम:
कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः
सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम:॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत्।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम्
उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु।
पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम:॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्।
सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु॥

(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)

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