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Rang Panchami 2023: रविवार को है देवताओं की होली, जानिए रंग पंचमी पर्व का धार्मिक महत्व

Rang Panchami 2023: रविवार को देवी की होली रंग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। देश की कई राज्यों में इस पर्व की धूम रहती है। रंग पंचमी के दिन कृष्ण-राधा की पूजा का विधान है।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: March 11, 2023 15:08 IST
Rang Panchami 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rang Panchami 2023

Rang Panchami: 12 मार्च यानी रविवार को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा। इस देवताओं की होली के नाम से भी जाना जाता है। रंग पंचमी का पर्व देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि होली के बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। दरअसल, बहुत-सी जगहों पर होली से लेकर पांच दिनों तक रंग खेलने की परंपरा है। रंग पंचमी के दिन ही होली संपूर्ण होता है। रंग पंचमी के साथ ही ब्रज में चलने वाली 40 दिवसीय होली पर्व का भी समापन होगा।  

आपको बता दें कि रंग पंचमी महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, राजस्थान आदि जगहों पर विशेष रूप से मनाया जाता है। होली की तरह ही इस दिन भी खूब अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है और लोग एक-दूसरे को रंगते हैं। कहते हैं कि आज हवा में रंग उड़ाने से या शरीर पर रंग लगाने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है और आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियां क्षीण हो जाती हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी रंग पंचमी का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां बाबा महाकाल को फूलों से तैयार किए गए रंग को लगाया जाता है। इसके बाद ही पूरे शहर में रंग पंचमी का उत्सव शुरू होता है।

रंग पंचमी का महत्व

रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन के साथ कृष्ण-राधा की उपासना करता है उसके जीवन में प्रेम के खूबसूरत रंग सदैव बने रहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन गुलाल-अबीर को आसमान में फेंकने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। वहीं जब वो गुलाल वापस नीचे गिरता है तो आसपास का सारा वातावरण शुद्ध हो जाता है और नकारात्मक शक्तियों का भी नाश होता है। रंग पंचमी के दिन अपने इष्टदेव को गुलाल लगाकर उनसे खुशहाली का आशीर्वाद भी मांगा जाता है। 

रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रंगपंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी। इसलिए इस दिन राधा-कृष्ण को रंग-गुलाल चढ़ाया जाता है और फिर जमकर होली खेली जाती है। वहीं रंगपंचमी को लेकर दूसरी प्रचलित कथा के अनुसार, जब शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था तब सभी देवी-देवता दुखी थी। तब देवी रति ने महादेव से अपने पति को जीवित करने की याचना की और भोलेनाथ ने कामदेव की पुन: जीवित कर दिया। इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। कहते हैं इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्यौहार मनाया जाने लगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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