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Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी का व्रत रखने के पीछे क्या है मान्यता, क्या कहती है पौराणिक कथा, पढ़ें यहां

Rama Ekadashi 2022: इस साल 21 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मन की हर मनोकामना पूरी होती है। रमा एकादशी में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Oct 14, 2022 13:13 IST, Updated : Oct 14, 2022 13:58 IST
Rama Ekadashi
Image Source : FILE PIC Rama Ekadashi 2022

Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर, 2022 को रखा जाएगा। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के दिन यह व्रत रखा जाता है। इस रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या समेत सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा एकादशी के दिन विधिवत् पूजा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही मन की हर मनोकामना पूर्ण होती है। 

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रमा एकादशी का व्रत

21 अक्टूबर को रमा एकादशी (Rama Ekadashi Vrat 2022) का व्रत रखा जाएगा, जो कि अगले दिन यानी 22 अक्टूबर को खोला जाएगा। व्रत  पारण का मुहूर्त  सुबह 6 बजकर 26 मिनट से शुरू हो रहा है, जो कि 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। एकादशी व्रत में पारण का अत्याधिक महत्व होता है, इसलिए मुहूर्त में ही पारण कर लेना चाहिए। बता दें कि रमा एकादशी हर साल कार्तिक मास में पड़ता है। दरअसल, माना जाता है कि कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। रमा एकादशी व्रत में कथा भी पढ़ना अनिवार्य होता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

रमा एकादशी व्रत कथा

धार्मिक कथाओं के अनुसार, मुचुकंद नाम का एक राजा था और उनकी चंद्रभागा नाम की एक बेटी थी। राजा ने अपनी बेटी का विवाह राजा चंद्रसेन के बेट शोभन के साथ कर दी। शोभन एक समय बिना कुछ खाए नहीं रह सकता था। एक बार कार्तिक महीने में शोभन अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया हुआ था। इसी दौरान रमा एकादशी का व्रत पड़ा।  चंद्रभागा के गृह राज्य में सभी रमा एकादशी का नियम पूर्वक व्रत रखते थे और ऐसा ही करने के लिए शोभन से भी कहा गया। लेकिन राजा का दामाद इस बात से परेशान हो गया कि वह तो एक मिनट भी भूखा नहीं रह सकता है तो एकादशी का व्रत कैसे रखेगा। शोभन ने अपनी सारी परेशानी पत्नी को कह डाली और उपाय बताने का कहा। तब चंद्रभागा ने कहा कि अगर ऐसा है तो आपको राज्य के बाहर जाना होगा, क्योंकि राज्य में ऐसा कोई  व्यक्ति नहीं है जो इस व्रत नियम का पालन न करता हो।  यहां तक कि इस दिन राज्य के जीव-जंतु भी भोजन नहीं करते हैं.

आखिरकार शोभन को भी रमा एकादशी उपवास रखना पड़ा, लेकिन पारण करने से पहले उसकी मृत्यु हो गई। चंद्रभागा ने पति के साथ खुद को सती नहीं किया और पिता के यहां रहने लगी। उसने अपना पूरा मन पूजा पाठ में लगाया और विधि के साथ एकादशी का व्रत किया। 

दूसरी तरफ शोभन को एकादशी व्रत करने का पुण्य मिलता है और वो मरने के बाद देवपुर का राजा बनता है। जिसमें असीमित धन और ऐश्वर्य हैं एक दिन सोम शर्मा नामक ब्राह्मण देवपुर के पास से गुजरता है और शोभन को देख पहचान लेता है और पूछता है कि शोभन को यह सब ऐश्वर्य कैसे प्राप्त हुआ। तब शोभन उसे बताता है कि यह सब रमा एकादशी का प्रताप है लेकिन यह सब अस्थिर है कृपा कर मुझे इसका स्थिर उपाय बताएं शोभन की पूरी बात सुन सोम शर्मा उससे विदा लेकर शोभन की पत्नी से मिलने जाते हैं और शोभन के देवपुर का सत्य बताते हैं चंद्रभागा यह सुन बहुत खुश होती है और सोम शर्मा से कहती है कि आप मुझे अपने पति से भेंट करवा दो, इससे आपको भी पुण्य मिलेगा।

फिर सोम शर्मा उसे बताते हैं कि यह सब ऐश्वर्य अस्थिर है, तब चंद्रभागा कहती है कि वो अपने पुण्यों से इस सब को स्थिर कर देगी। तब सोम शर्मा अपने मंत्रों एवम ज्ञान के द्वारा चंद्रभागा को दिव्य बनाते हैं और शोभन के पास भेजते हैं। शोभन पत्नी को देख बहुत खुश होता है। तब चंद्रभागा उससे कहती है कि मैंने पिछले 8 वर्षों से नियमित एकादशी का व्रत किया है मेरे उन सब जीवन भर के पुण्यों का फल मैं आपको अर्पित करती हूं। उसके ऐसा करते ही देव नगरी का ऐश्वर्य स्थिर हो जाता है। इस प्रकार रमा एकादशी करने से जीवन पापमुक्त होता है।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

 

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