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Putrada Ekadashi 2022: सावन की इस एकादशी पर व्रत करने से मिलते हैं संतान के सारे सुख, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम

Putrada Ekadashi 2022: सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख और अपने संतान के सुनहरे भविष्य के लिए किया जाता है।

Written By: Poonam Yadav @@R154Poonam
Published : Aug 07, 2022 15:08 IST, Updated : Aug 08, 2022 13:44 IST
Putrada Ekadashi 2022
Image Source : INDIA TV Putrada Ekadashi 2022

Highlights

  • पुत्रदा एकादशी का व्रत 8 अगस्त को रखा जाएगा।
  • इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है।
  • यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

Putrada Ekadashi 2022: सावन की दूसरी एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। वेद-पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का व्रत रखने से जो दंपत्ति निसंतान होते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं या जिन्हें पहले से संतान है, वो अपने बच्चे का सुनहरा भविष्य चाहते हैं, जीवन में उनकी खूब तरक्की चाहते हैं, उन लोगों के लिये पुत्रदा एकादशी का व्रत किसी वरदान से कम नहीं है। इस दिन सावन का आखिरी और चौथा सोमवार भी है ऐसे में शिव-विष्णु की पूजा का बेहद शुभ संयोग बना है। ये व्रत साल में दो बार रखा जाता है। इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पहली पुत्रदा एकादशी सावन मास के शुक्ल पक्ष में आती है। जो कि 8 अगस्त, सोमवार को है। वहीं, दूसरी पौष माह के शुक्ल पक्ष में। इस महीने में भगवान विष्णु का पूजा किया जाता है।

सावन पुत्रदा एकादशी 2022 मुहूर्त 

सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि शुरू - 7 अगस्त 2022, रात 11।50 मिनट से

सावन शुक्ल पक्ष मास पुत्रदा एकादशी तिथि समाप्त - 8 अगस्त 2022, रात 9:00 बजे तक
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय: 9 अगस्त 2022, सुबह 06।01 से  8:26 तक

कैसे करें यह व्रत?

व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें। एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ़ सुथरे कपड़े पहनें, फिर घर के मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। पूजा में धूप, दीप, फूल-माला, अक्षत और रोली भगवान को अर्पित करें। भगवान विष्णु को पूजा में तुलसी दल जरूर अर्पित करें। इसके बिना उनकी हर पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके बाद पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें।

पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम

इस व्रत को निर्जला व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत के रूप में रखा जाता है। निर्जला व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को रखना चाहिए। लोग आमतौर पर फलाहारी या जलीय उपवास रखते हैं। अगर आपको एकादशी का व्रत रखना है, तो दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन करें। एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। विष्णु भगवान की पूजा करें। एकादशी तिथि को पूर्ण रात्रि जाग कर भजन-कीर्तन और प्रभु का ध्यान करने का विधान है। द्वादशी तिथि को सूर्योदय के समय शुभ मुहूर्त में से विष्णु जी की पूजा करके किसी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए।

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कथाओं में इस व्रत का महत्व

जो लोग संतान सुख से वंचित होते हैं, उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। मान्यता है इस व्रत को करने से भक्तों को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी बना रहता है। पुराणों में प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुकेतुमान नामक एक राजा के यहां कोई संतान नहीं थी। सब कुछ होने के बाद भी संतान न होने के दुख से वे सदैव चिंतित रहते थे। कुछ समय बाद एक ऋषि ने उन्हें यह व्रत करने का सुझाव दिया। जब राजा ने यह व्रत किया तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई। तभी से यह व्रत संतान की प्राप्ति के लिए किया जाने लगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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