Friday, November 22, 2024
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Pradosh Vrat 2024: जून में इस दिन रखा जाएगा ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत, जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Bhaum Pradosh 2024: हिंदू धर्म में भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा का विधान है। तो आइए जानते हैं कि जून में भौम प्रदोष का व्रत कब रखा जाएगा।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: June 02, 2024 15:58 IST
Pradosh Vrat 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pradosh Vrat 2024

Pradosh Vrat 2024: पुराणों में बताया गया है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसकी सभी समस्यायें स्वतः ही समाप्त हो जाती है और उसपर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। बता दें कि कि अलग-अलग वार को पड़ने वाले प्रदोष का नामकरण भी अलग-अलग किया जाता है। जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष व्रत कहते है वैसे ही मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष व्रत कहते है। भौम प्रदोष के दिन शिवजी की पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए। क्योंकि यह भौम प्रदोष व्रत है और भौम प्रदोष में हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। 

भौम प्रदोष व्रत 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 4 जून 2024 को सुबह 12 बजकर 18 मिनट से होगा। त्रयोदशी तिथि का समापन  4 जून की रात 10 बजकर 1 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत 4 जून को रखा जाएगा। भौम प्रदोष के पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 16 मिनट से रात 9 बजकर 18 मिनट के बीच रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन व्रती को नित्यकर्मों से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास करना चाहिए। पूरे दिन उपवास के बाद प्रदोष काल में यानि शाम के प्रथम प्रहर में फिर से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए और ईशान कोण में प्रदोष व्रत की पूजा के लिए स्थान का चुनाव करना चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए। इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाइए। चाहें तो बाजार में कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी ले सकते हैं। साथ में भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर भी रखिए। इस तरह मंडप तैयार करने के बाद पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर कुश के आसन पर बैठकर, उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की पूजा करें। पूजा के एक-एक उपचार के बाद 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। जैसे पुष्प अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' कहें, फल अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' जपें। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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