Pradosh Vrat 2024: गुरुवार को प्रदोष का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा का विधान है। कहते हैं कि इस दिन जो भी जातक भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बता दें कि कि अलग-अलग वार को पड़ने वाले प्रदोष का नामकरण भी अलग-अलग किया जाता है। जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष व्रत कहते है वैसे ही गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं।
वहीं बता दें कि किसी भी प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानि सूर्योदय के बाद शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं। त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। ऐसे में प्रदोष व्रतके दिन रात के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट अवश्य करना चाहिए। तो चलिए अब जानते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त क्या रहेगा।
प्रदोष पूजा मुहूर्त 2024
- मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 28 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर
- मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 29 नवंबर 2024 को सुबह 8 बजकर 39 पर
- प्रदोष पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक
प्रदोष व्रत नियम
- प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के बेलपत्र और धतुरा जरूर अर्पित करें
- शिवजी को फल-मेवा का भोग लगाएं
- शिव चालीसा और मंत्रों का जाप करें
- शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा करें
- मां गौरी को सिंदूर लगाना न भूलें
- शिवलिंग पर सिंदूर, हल्दी और तुलसी भूलकर भी न चढ़ाएं
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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