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Pitru Paksha 2022: प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए इन जगहों पर करें पितर का श्राद्ध, पूर्वजों को मिलेगा मोक्ष

Pitru Paksha 2022: आचार्य इंदु प्रकाश बता रहे हैं कि पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में किन जगहों पर श्राद्ध और पिंडदान करना चाहिए?

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Poonam Yadav Published : Sep 12, 2022 19:03 IST, Updated : Sep 12, 2022 19:03 IST
Pitru Paksha 2022
Image Source : INDIA TV Pitru Paksha 2022

Highlights

  • इन तीर्थ स्थल पर श्राद्ध करने से पितरों को सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  • बोधगया को मोक्ष की भूमि कहा गया है ।

Pitru Paksha 2022: कहा गया है कि समुद्र या समुद्र में गिरने वाली नदी के तट पर, गौशाला में जहां बैल न हों, नदी के संगम पर, उच्च गिरिशिखर पर, लिपि-पुती साफ और सुंदर भूमि पर विधि पूर्वक और निष्काम भाव से किये गए श्राद्ध से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। बता दूं कि- शास्त्रों में कुछ प्रमुख तीर्थ स्थलों का उल्लेख मिलता है, जहां श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं.  आचार्य इंदु प्रकाश बता रहे हैं कि पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में किन जगहों पर श्राद्ध और पिंडदान करना चाहिए।

BodhGaya

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बोधगया में करें पिंडदान 

बिहार राज्य की फल्गु नदी के किनारे मगध क्षेत्र में स्थित यह सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है, जहां अपने पुरखों का पिंडदान करने बहुत से लोग जाते हैं । यही वो स्थान है, जहां बोधि नामक पेड़ के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी । विष्णु पुराण और वायु पुराण में इसे मोक्ष की भूमि कहा गया है । माना जाता हैं यहां स्वयं विष्णु पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं। यहां किया गया पिंडदान 108 कुल और सात पीढ़ियों तक का उद्धार करने वाला है । कहते हैं स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने पूर्वजों का पिंडदान गया में फल्गु नदी के तट पर किया था और त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान यहीं किया था। बताया जाता है कि- यहां 360 वेदियां थीं, लेकिन अब केवल 48 ही रह गई हैं, जहां पर पितरों का पिंडदान किया जाता है ।यहीं पर एक जगह है- अक्षयवट, जहां पितरों के निमित्त दान करने की भी परंपरा है। यहां किया गया दान अक्षय होता है । जितना दान किया जाये, उतना ही पुण्य आपको वापस जरूर मिलता है।

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काशी में करें श्राद्ध 

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी मोक्ष की नगरी के नाम से ही जानी जाती है। पितरों को प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिये काशी में श्राद्ध व पिंडदान किया जाता है। सात्विक, राजस, तामस - ये तीन तरह की प्रेत आत्माएं मानी जाती हैं और इन प्रेत योनियों से मुक्ति के लिये देश भर में सिर्फ काशी के पिशाच मोचन कुण्ड पर ही मिट्टी के तीन कलश की स्थापना की जाती है और कलश पर भगवान शंकर, ब्रह्मा और विष्णु के प्रतीक के रूप में काले, लाल और सफेद रंग के झंडे लगाए जाते हैं। इसके बाद श्राद्ध कार्य किया जाता है। काशी में श्राद्ध करने वाले के घर में हमेशा खुशियों का आगमन बना रहता है।

Haridwar

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हरिद्वार में पिंडदान से मिलेगा आशीर्वाद 

हरिद्वार में नारायणी शिला के पास पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है । माना जाता है कि यहां पर पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद हमेशा पिंडदान करने वाले पर बना रहता है और उसके जीवन में हमेशा शांति बनी रहती है, साथ ही भाग्य हमेशा उसका साथ देता है।

kurukshetra

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कुरुक्षेत्र में करें श्राद्ध 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पिहोवा तीर्थ पर अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध करना सबसे उत्तम माना जाता है। खासकर कि अमावस्या के दिन। जिनका स्वर्गवास समय से पहले ही- किसी एक्सीडेंट में या किसी शास्त्र घात से हो गई हो, उनका श्राद्ध यहां किया जाता है। यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे ही स्थित है। यहां श्राद्ध या पिंडदान करने वाले को श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है और वह संतान बुढ़ापे में इसका सहारा बनती है। महाभारत के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने युद्ध में मारे गए अपने परिजनों का श्राद्ध और पिंडदान पिहोवा तीर्थ पर ही किया था। वामन पुराण में इस जगह के बारे में उल्लेख मिलता है कि पुरातन काल में राजा पृथु ने अपने वंशज राजा वेन का श्राद्ध यहीं पर किया था, जिसके बाद ही राजा वेन की तृप्ति हुई ।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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