Pitru Paksha 2022: श्राद्ध में तर्पण का बहुत अधिक महत्व है। इससे पितर संतुष्ट व तृप्त होते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जिस प्रकार वर्षा का जल सीप में गिरने से मोती, कदली में गिरने से कपूर, खेत में गिरने से अन्न और धूल में गिरने से कीचड़ बन जाता है, उसी प्रकार तर्पण के जल से सूक्ष्म वाष्पकण- देव योनि के पितर को अमृत, मनुष्य योनि के पितर को अन्न, पशु योनि के पितर को चारा व अन्य योनियों के पितरों को उनके अनुरूप भोजन व सन्तुष्टि प्रदान करते हैं। साथ ही जो व्यक्ति तर्पण कार्य पूर्ण करता है, उसे हर तरफ से लाभ मिलता है। नौकरी में तरक्की मिलती है।
जानिए श्राद्ध में कौओं के निमित्त खाना क्यों निकालना चाहिए?
कौवों को पितृ का प्रतीक माना जाता है। श्राद्ध में कौओं को भोजन खिलाने या उनके निमित भोजन निकालने से पितरों को खाना मिलता है, उनकी तृप्ति होती है- ऐसा माना जाता है। इसलिए श्राद्ध में कौओं के नाम का भोजन जरूर निकालना चाहिए। पितृ पक्ष के प्रथम दिन पहला न्योता, दूसरा पूर्वज की मृत्यु की तिथि पर, तीसरा आमंत्रण नवमी तिथि और अंतिम बार पितृ विसर्जन कौओं को आमंत्रित कर भोजन कराने की या उनके निमित भोजन निकालने की परम्परा है।
जानिए कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध
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भविष्य पुराण के अनुसार श्राद्ध कुल 12 प्रकार के होते हैं
1 . नित्य श्राद्ध
यह श्राद्ध जल द्वारा, अन्न द्वारा प्रतिदिन होता है। श्राद्ध-विश्वास से किये जाने वाले देवपूजन, माता-पिता एवं गुरूजनों के पूजन को नित्य श्राद्ध कहते हैं। अन्न के अभाव में जल से भी श्राद्ध किया जाता है। इसे करने से मनुष्य हर दिन तरक्की की नयी सीढ़ी चढ़ता है।
2 . नैमित्तिक श्राद्ध
किसी एक को निमित्त बनाकर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। आपका बौद्धिक लेवल अच्छा होता है।
3 . काम्य श्राद्ध
जो कुछ कामना रखकर किया जाता है, उसे काम्य श्राद्ध कहते हैं। इसे करके मनुष्य बड़ी से बड़ी उपलब्धियों को प्राप्त कर सकता है।
4. वृद्ध श्राद्ध
विवाह, उत्सव आदि अवसरों पर वृद्धों के आशीर्वाद लेने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध वृद्ध श्राद्ध कहलाता है। दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने के लिए यह श्राद्ध करना चाहिए।
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5. सपिंडित श्राद्ध
यह श्राद्ध सम्मान हेतु किया जाता है। समाज में, घर में और रिश्तेदारों में अपना सम्मान बनाए रखने के लिये यह श्राद्ध करना चाहिए।
6. पार्वण श्राद्ध
मंत्रों से पर्वों पर किया जाने वाला श्राद्ध पार्वण श्राद्ध है, जैसे अमावस्या आदि पर्वों पर किया जाने वाला श्राद्ध। इसे करने से घर में खुशियों का आगमन होता है।
7. गोष्ठ श्राद्ध
गौशाला में किया जाने वाला गोष्ठ श्राद्ध कहलाता है। इसे करने से स्त्री सुख की प्राप्ति होती है।
8. शुद्धि श्राद्ध
अपनी शुद्धि कराने के लिए जो श्राद्ध किया जाता है, वह शुद्धि श्राद्ध कहलाता है। इसे करने से ऑफिस में बैक बाइटिंग से बचाव होता है।
9. कर्मांग श्राद्ध
आने वाली संतति के लिए गर्भाधान, सोमयाग, सीमान्तोन्नयन आदि जो संस्कार किये जाते हैं, उन्हें कर्मांग श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से बुढ़ापे में सन्तान आपका सहारा बनाती है, आपका ख्याल रखती है।
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10. दैविक श्राद्ध
देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दैविक श्राद्ध किया जाता है। इसे करने से आपको अन्न-धन्न की कभी कमी नहीं होती।
11. यात्रार्थ श्राद्ध
यात्रा के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशान्तर जाने के उद्देश्य से जिस श्राद्ध को सम्पन्न कराना चाहिए, वह यात्रार्थ श्राद्ध है। इसे करने से आपकी हर बिजनेस यात्रा सफल होती है।
12. पुष्टि श्राद्ध
देशान्तर में जाने वाले की पुष्टि के लिए जो शुभकामना की जाती है, उसके लिए जो दान पुण्य आदि किया जाता है उसे पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। अपने मित्र, भाई, बहन, पति, पत्नी आदि की भलाई के लिए जो कर्म किए जाते हैं उन सबको पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से विदेश जाने का अवसर मिलता है और जो पहले से विदेश में हैं, उन्हें लगातार अपने कामों में सफलता मिलती है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)