आकाशमंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा 23वां नक्षत्र है। यह नक्षत्र चार तारों से मिलकर बना हुआ है। इसकी आकृति मंडल, मुरज या मृदंग के समान दिखाई देती है। धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं और इसके अधिपति देवता वसु हैं। साथ ही इसका संबंध चीड़ के पेड़ से बताया गया है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देव अष्ट वसवाल हैं और राशि स्वामी शनि हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरण से उत्पन्न जातक की जन्म राशि मकर है और अंतिम दो चरण में जन्म होने पर राशि कुंभ। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर शनि और मंगल का विशेष प्रभाव पड़ता है।
मेहनत कर पाते हैं सफलता
इस नक्षत्र में जन्मे लोग ऊर्जावान, तेजस्वी, पराक्रमी, दान-धर्म में विश्वास रखने वाले, व्यावहारिक और मेहनती होते हैं। ये अपनी मेहनत से सफलता पाते हैं। ऐसे लोग साहसिक प्रवृत्ति के होते हैं और यात्राएं करने में रूचि रखते हैं। इन्हें लोगों के साथ घुलना मिलना अच्छा लगता है, लेकिन ये बहुत ज्यादा बातूनी भी होते हैं। यह स्वभाव से काफी नरम दिल एवं संवेदनशील व्यक्ति होते हैं। साथ ही कला और संगीत के क्षेत्र में भी इनकी विशेष रुचि होती है।मंगल का नक्षत्र होने से ऐसे जातक काफी ऊर्जावान, तेजस्वी, पराक्रमी और परिश्रम द्वारा सफलता पाने वाले होते हैं।इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति काफी संपन्न होते हैं और परोपकार के काम में काफी धन खर्च करते हैं।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)
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