Vivah Panchami 2023: हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में आने वाले 16 संस्कारों में से एक संस्कार विवाह भी आता है। इसी संस्कृति को मानव कल्याण का दर्पण दिखाने के लिए प्रभु श्री राम ने जन्म लिया था और संपूर्ण राम लीला रची थी। आज 17 दिसंबर 2023 दिन रविवार है और आज विवाह पंचमी का शुभ अवसर है। आज ही के दिन त्रेतायुग में प्रभु श्री राम और माता जनकी का विवाह हुआ था। हिंदू धर्म में यह पर्व लोगों की आस्था का तो विषय है ही अपितु मंगल उत्सव का भी विषय है। आज जनकपुर से लेकर राम नगरी अयोध्या तक में यह पर्व अत्यंत हर्ष और आस्था के साथ मनाया जाएगा। जिस तरह भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या है उसी प्रकार मां सीता की जन्मस्थली मिथिला नगरी जनकपुर है।
रामचरितमानस में सीताराम जी के विवाह के उपरांत का दृश्य वर्णन
सुर प्रनामु करि बरिसहिं फूला। मुनि असीस धुनि मंगल मूला।
गान निसान कोलाहलु भारी। प्रेम प्रमोद मगन नर नारी॥
अर्थः समस्त देवता गण भगवान राम और माता जानकी के विवाह उत्सव के उपरांत हर्षित हो कर पुष्प वर्षा कर रहे हैं। विवाह के मंगल गान गाए जा रहे हैं। सभी देवी-देवता यह मंगल दृश्य देख कर आनंदित हो उठे।
एहि बिधि सीय मंडपहिं आई। प्रमुदित सांति पढ़हिं मुनिराई।
तेहि अवसर कर बिधि ब्यवहारू। दुहुँ कुलगुर सब कीन्ह अचारू॥
अर्थः सीता जी विवाह उपरांत मंडप में पधारती हैं। मुनिराज आनंदित होकर शांतिपाठ पढ़ना शुरू कर देते हैं। उस समय की सब रीति और कुलाचार दोनों कुलगुरुओं ने मिल कर कराए।
विवाह पंचमी पर इस तरह करें पूजन
- आज स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर में मां सीता और राम जी की प्रतिमा पूजा घर में स्थापित करें या रामदरबार घर में है तो उसका भी पूजन कर सकते हैं।
- सीताराम जी की प्रतिमा को चौकी पर लाल कपड़े के ऊपर रखें।
- इसके बाद प्रभु राम और मां सीता की तस्वीर के सामने धूप अर्पित करें, दीप प्रज्जवलित करें, पुष्प अर्पित करें, अक्षत, रोली, लाल गुलाल, मां सीता को 16 श्रृंगार और चुनरी अर्पित करें।
- आज के दिन आप भगवान राम की आरती करें।
- शाम को संध्या के समय आप विवाह का मंडप भी घर में सजा कर विवाह पंचमी का दिव्य उत्सव अपने घर में मना सकते हैं और मिठाई के प्रसाद का भोग वितरण कर सकते हैं।
- पूजा घर में बैठ कर भगवान राम और मां सीता की प्रतिमा के सम्मुख हो कर मंगल गीत गा सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद सदैव के लिए बना रहेगा। आप आज रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को भी पढ़ सकते हैं। जिसमें श्री साताराम जी के विवाह का वर्णन आता है।
मिथिली नगरी जनकपुर में हुआ था मां सीता और राम जी का विवाह
भगवान राम और मां सीता का विवाह मिथिला की पावन भूमि जनकपुर में त्रेतायुग के दौरान आयोजित हुआ था। वह दिन मिथिला नगरी के लिए बड़े हर्ष का रहा होगा। राजा जनक जी की पुत्री होने के नाते मां सीता को जनकी माता कहते हैं। वहीं प्रेम से मिथिलावासी और अयोध्यावासी उन्हें जनक नंदनी भी बुलाते हैं। जिस जगह मां सीता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था। वह आज वर्तमान समय में नेपाल देश के जनकपुर में स्थित है और आज उस जगह पर एक भव्य जानकी महल है। इस जानकी महल की भव्यता आलौकिक है और यह महल जनकपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहां मां सीता जी की अति प्राचीन प्रतिमाएं भी हैं और लाखों की तादात में यहां श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
विवाह से पूर्व श्री राम ने ध्वस्त किया था पिनाक धनुष
विवाह से पूर्व राम जी ने पिनाक धनुष तोड़ा था। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण और रामचरितमानस दोनों दिव्य ग्रंथों में किया गया है। माना जाता है कि जानकी महल के पास जो स्थान रंगभूमि के नाम से प्रसिद्ध है। वहीं श्री राम जी ने विवाह से पूर्व पिनाक धनुष को तोड़ा था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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