Christmas 2023: आज 25 दिसंबर का दिन है और इस दिन ईसाई धर्म के अनुयायी प्रभु यीशु का जन्मदिन भी मनाते हैं। यह पर्व ईसाई धर्म के लिए साल का सबसे बड़ा पर्व होता है। भारत सहित विदेशों में भी इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ आज मनाया जाएगा। ईसाई धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन यीशु का जन्म हुआ था इस कारण लोग आज चर्च में जाकर परमेश्वर की प्रार्थना करते हैं।
आज के दिन चर्च को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां होती हैं इसी के साथ लोग घरों और चर्चों में शुभता का प्रतीक मानते हुए क्रिसमस के पेड़ को भी लगाते हैं। भारत में भी इस पर्व की धूम देखने को मिलती है आज हम आपको भारत के उन 5 प्रमुख चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जहां वर्षों से क्रिसमस के पर्व को मनाया जा रहा है और आज की शाम इन चर्चों की रौनक देखने लायक रहती है। इन चर्चों में यीशु की प्रार्थना करने का भी बड़ा महत्व माना जाता है।
देखें इन 5 प्रसिद्ध चर्चों में क्रिसमस की रौनक
सेंट फिलोमेना चर्च (मैसूर)- मैसूर में स्थित सेंट फिलोमेना चर्च एशिया के सबसे लंबे चर्चों में से गिना जाता है। यह चर्च सन 1936 में बनाया गया था। इस चर्च की दिवारों पर यीशु के जन्म से जुड़े दृश्य बने हुए हैं। आज क्रिसमस डे पर इस पूरे चर्च को सजाया जाता है।
हिल्स क्वीन चर्च (शिमला)- हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बसा हिल्स क्वीन चर्च एक ऐतिहासिक चर्च की श्रेणी में आता है। इस चर्च को हिमाचल की राजधानी का ताज भी कहा जाता है।
सेंट फ्रांसिस चर्च (कोच्चि)- सेंट फ्रांसिस चर्च को भारत का पहला यूरोपियन चर्च कहा जाता है। माना जाता है सन 1503 में बने इस चर्च में वास्को-डि-गामा को मरने के बाद दफन किया गया था।
बेसिलिका ऑफ बॉम चर्च( गोवा)- यह शहर समुद्री बीच के लिए तो जाना जाता है इसी के साथ यहां बना बेसिलिका ऑफ बॉम चर्च यूनेस्को की विश्व धरोहर भी है। इस चर्च के बारे में बताया जाता है कि 450 वर्ष पूर्व यहां सेंट फ्रांसिस जेवियर का पार्थिव शरीर हिफाजत से दफन किया गया था जो अभी भी यहां पर सुरक्षित रखा हुआ है। जिसे हर दशक में एक बार बाहर निकाला जाता है।
कोलकाता- सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च कोलकाता का सबसे फेमस चर्च है। माना जाता है कि यह चर्च 1847 में बना था और इसे गोथिक वास्तुकला के आधार पर बनाया गया था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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