Nirjala Ekadashi Vrat 2023: निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023 को रखा जाएगा। एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की इस निर्जला एकादशी का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस व्रत को निर्जल यानी बिना पानी पीएं व्रत किया जाता है। निर्जला एकादशी व्रत करने से साल की सभी 24 एकादशियों का फल मिलता है। आपको बता दें कि निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस चीज के बिना अधूरी है एकादशी की पूजा
निर्जला एकादशी की पूजा में कई सामग्री लगती है लेकिन तुलसी और श्रीफल के बिना विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है तुलसी। निर्जला एकादशी के दिन विष्णु जी और माता लक्ष्मी के साथ तुलसी की भी पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्र में तुलसी के बिना एकादशी की पूजा और व्रत को अधूरा माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की तुलसी काफी प्रिय है, इसलिए उनकी हर पूजा और प्रसाद में तुलसी का पत्ता जरूर रखा जाता है। तो अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो विष्णु जी को अर्पित करने वाले हर भोग में तुलसी जरूर डालें। तुलसी मिला भोग ही भगवान विष्णु की चढ़ाएं। इसके अलावा एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी में घी का दीपक भी जरूर जलाएं। इससे विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा मिलती है।
निर्जला एकादशी व्रत पूजा सामग्री
विष्णु की तस्वीर या मूर्ति, चौकी, पीला कपड़ा, श्रीफल, गंगाजल, तुलसी, नारियल, सुपारी, फल, पान, लौंग, धूप, दीप, पीले फूल, पीले वस्त्र, कलश, आम के पत्ते, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), केसर, इलायची, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा, कुमकुम, हल्दी, मिठाई, मौली, इत्यादि।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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