Highlights
- महानवमी को शक्ति साधना के रूप में याद किया जाता है
- दुर्गा पूजा के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है
- माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं
Navratri Navami Puja: कल यानी 4 अक्टूबर को महानवमी है। नवरात्रि की महानवमी को शक्ति साधना के रूप में याद किया जाता है। दुर्गा पूजा के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। सिद्धिदात्री माँ दुर्गा की आखिरी रूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महानवमी पर देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, इसलिए इन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है। मान्यता है कि नवमी पर माँ सिद्धिदात्री की विधि-विधान और निष्ठा के साथ पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार का सौभाग्य और सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन कई लोग कन्या पूजन कर शुभ मुहूर्त में हवन करते हैं और फिर व्रत का पारण किया जाता है । आइए जानते हैं नवरात्रि की महा नवमी का मुहूर्त, योग और पूजा विधि।
नवरात्रि 2022 नवमी शुभ मुहूर्त
नवरात्रि महानवमी तिथि शुरू - 3 अक्टूबर 2022, शाम 04।37
नवमी तिथि समाप्त - 4 अक्टूबर 2022, दोपहर 02।20
हवन मुहूर्त - सुबह 06।21 - दोपहर 02।20
नवरात्रि नवमी व्रत का पारण - 02।20 मिनट के बाद
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:43 - सुबह 05:32
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:52 - दोपहर 12:39
ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
मां सिद्धिदात्री अपने नाम स्वरूप अष्ट सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। नवरात्रि की नवमी की पूजा में देवी सिद्धिदात्री को नौ कमल के फूल या सिर्फ चंपा के पुष्प भी अर्पित कर सकते हैं। कन्या भोज में बनने वाले प्रसाद का भोग लगाएं। चौमुखी दीप जलाकर देवी के मंत्रों का जाप करें। 9 कन्याओं की विधिवत पूजा करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में हवन करें और फिर नवमी तिथि के समाप्त होने पर व्रत का पारण करें।
Dussehra 2022: दशहरा पर लें मां दुर्गा से विजयी होने का आशीर्वाद, जानें शुभ मुहूर्त और कथा
मां सिद्धिदात्री प्रिय भोग, फूल और रंग
मां सिद्धिदात्री चने, पूड़ी, हलवे का प्रसाद अति प्रिय है। नवमी के दिन यही भोजन कन्याओं को भी खिलाया जाता है। देवी को चंपा, कमल या गुड़हल का फूल अर्पित करें इससे परिवार में खुशहाली आएगी। साथ ही मां सिद्धिदात्री की पूजा में गुलाबी रंग बहुत शुभ माना गया है। गुलाबी रंग प्रेम और नारीत्व का प्रतीक है।
Neelkanth on Dussehra: विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन से चमकेगा भाग्य, जानिए क्या है महत्व
मां सिद्धिदात्री मंत्र
बीज मंत्र - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: (नवमी पर 1100 बार जाप से मिलेगा लाभ)
प्रार्थना मंत्र - सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
मां सिद्धिदात्री के आशीवार्द से बनती है भक्तों की ज़िंदगी
माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं, जिसमें गदा, कमल, शंख और सुदर्शन चक्र विद्यमान है। मां दुर्गा की नौवी शक्ति देवी सिद्धिदात्री आराधना करने पर अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।