Wednesday, November 20, 2024
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Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में क्या अंतर है? जानिए दोनों नवरात्र कैसे अलग है

Shardiya and Chaitra Navratri Difference: बहुत से लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि में कंफ्यूज हो जाते हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि चैत्र और शारदीय में क्या अंतर है और दोनों का क्या महत्व है।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: October 04, 2024 12:41 IST
Navratri 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri 2024

Navratri Significance: नवरात्रि का त्यौहार मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि में नवदुर्गा की उपासना की जाती है। नवरात्रि का पावन पर्व साल में चार बार आता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीने में नवरात्रि आती है। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। इन दोनों ही नवरात्रि में व्रत करने का विधान है। नवरात्र का उपवास करने और माता दुर्गा की आराधना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि शारदीय और चैत्र नवरात्रि में क्या अंतर है और दोनों नवरात्र का क्या धार्मिक महत्व है।

चैत्र नवरात्रि  

हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि से जुड़ी धार्मिक कथा के मुताबिक, महिषासुर नामक राक्षस का आतंक धरती पर काफी अधिक बढ़ गया था। महिषासुर को वरदान था कि उसे कोई देव या दानव नहीं हरा पाएगा। महिषासुर के आतंक से हर तरह त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ था। इसके बाद सभी देवताओं ने माता पार्वती से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना किया। तब देवी पार्वती ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति को संपन्न किया। कहा जाता है कि ये पूरी प्रक्रिया चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर पूरे 9 दिनों तक चला था। मान्यताओं के मुताबिक, तब से ही चैत्र महीने में नवरात्रि मनाने की परंपरा शुरू हुई। 

शारदीय नवरात्रि

आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि का पावन उत्सव मनाई जाती है। प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होती है। शारदीय नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, अश्विन माह में ही मां दुर्गा का महिषासुर के साथ पूरे नौ दिनों तक युद्ध हुआ था। दसवें दिन मां दुर्गा ने  महिषासुर का वध कर दिया था। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि तब से ही नौ दिनों को शक्ति की उपासना के लिए समर्पित कर दिया गया। इसके अलावा अश्विन महीने में ही शरद ऋतु की शुरुआत होती है, इसलिए भी इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था।  शारदीय नवरात्रि को धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक माना जाता है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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