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Navratri 2023: नवरात्रि की शुरुआत आखिर हुई कैसे, पढ़ें इसके पीछे की 2 पौराणिक कथाएं

Navratri 2023: नवरात्रि का त्यौहार देवी मां को समर्पित है और यह पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है। ऐसे में कई बार लोगों के मन में यह सवाल आता है कि नवरात्रि की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।

Edited By: Vineeta Mandal
Published : Oct 17, 2023 6:51 IST, Updated : Oct 17, 2023 9:36 IST
Navratri 2023
Image Source : INDIA TV Navratri 2023

Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बेहद महत्पूर्ण है। नवरात्रि का पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है जो संपूर्ण रूप से मां दुर्गा देवी को समर्पित होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर को हो चुकी है और इसका समापन 23 अक्टूबर के दिन होगा। ऐसे में कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि नवरात्रि की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस संदर्भ में नवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार आज हम आपको नवरात्रि से जुड़ी दो प्रमुख कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

मां दुर्गा और महिषासुर दैत्य का युद्ध संग्राम

पहली मान्यता के अनुसार महिषासुर नाम का एक दैत्य था जिसे ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देव, दानव और पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी प्राणी मार नहीं सकता था। वरदान प्राप्त होने के कारण महिषासुर ने संपूर्ण सृष्टि में हाहाकार मचा रखा था। सृष्टि  के उद्धार एवं महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा देवी को जन्म लेना पड़ा। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा देवी और महिषासुर दैत्य के बीच नौ दिनों तक भयानक युद्ध चला और दसवें दिन यानी अश्विन मास की दशमी तिथि के दिन मां दुर्गा देवी ने महिषासुर का संहार कर संपूर्ण सृष्टि को इस दैत्य के प्रकोप से मुक्त कराया। महिषासुर दैत्य के संहार करने के बाद से ही मां दुर्गा देवी को महिषासुर मर्दिनी नाम से जाना जाने लगा और अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।

भगवान राम और रावण के युद्ध से जुड़ी नवरात्रि की मान्यता

दूसरी मान्यता के अनुसार जिस दिन मां दुर्गा देवी ने महिषासुर दैत्य का संहार किया था, उसी दिन त्रेतायुग में भगवान राम ने रावण का भी संहार किया था। भगवान राम ने रावण से युद्ध जीतने के लिए आदि शक्ति मां दुर्गा देवी की आराधना की थी। श्री राम ने देवी मां की आराधना रामेश्वरम में पूरे नौ दिनों तक की थी। श्री राम की आराधना से देवी मां प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान राम को रावण से युद्ध जीतने का वरदान दिया। देवी मां का वरदान प्राप्त होने के बाद भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ और उसमें भगवान राम ने रावण का संहार किया। उस दिन अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। भगवान राम की विजय प्राप्ति का दिन दशहरा के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)   

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