Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. धर्म
  3. त्योहार
  4. Navratri 2023: इस जगह पर देवी मां की अनुमति के बाद ही शुरू होता है दशहरा, कांटों के झूले पर लेटती हैं कुंवारी कन्या

Navratri 2023: इस जगह पर देवी मां की अनुमति के बाद ही शुरू होता है दशहरा, कांटों के झूले पर लेटती हैं कुंवारी कन्या

Navratri 2023 Special Story: देश के इस शहर का दशहरा पर्व काफी प्रसिद्ध है। यहां एक छोटी कन्या को देवी बनाया जाता है, जो दशहरा पर्व को शुरू करने की अनुमति देती हैं। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर कहां दशहरा पर ये अनोखी परंपरा निभाई जाती है।

Edited By: Vineeta Mandal
Published : Oct 17, 2023 10:56 IST, Updated : Oct 17, 2023 11:22 IST
Navratri 2023
Image Source : INDIA TV Navratri 2023

Navratri 2023: इन दिनों देशभर में शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह-जगह पर माता रानी का भव्य पंडाल सजाया गया है। इन पंडालों में देवी मां की आकर्षित मूर्तियां लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। हर देवी भक्तों के लिए नवरात्रि के 9 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण रखते हैं। नवरात्रि के दौरान नौ देवियों की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। भारत के अलग-अलग हिस्से में नवरात्रि के तमाम रंग देखने को मिलते हैं। ऐसे ही छत्तीसगढ़ के बस्तर में नवरात्रि और दशहरा पर्व मनाने की एक अलग ही परंपरा है। यहां दशहरा पर देश-विदेश से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। तो चलिए जानते हैं विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा  पर्व के बारे में। 

यहां बिना देवी के इजाजत के नहीं होता है दशहरा पर्व का आरंभ 

बस्तर में देवी की अनुमति के बाद ही दशहरा पर्व की शुरुआत होती है। दरअसल, यहां एक नाबालिग कन्या को देवी बनाया जाता है, जो कांटों के झूले पर लेटकर दशहरा पर्व को आरंभ करने की अनुमति देती हैं। इस पूरे रस्म को काछन गादी के नाम से जाना जाता है। बस्तर में यह परंपरा करीब 600 सालों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार, कांटों के झूले पर लेटी कन्या के अंदर साक्षात् देवी आकर पर्व मनाने की अनुमति देती हैं। नवरात्रि के ठीक एक दिन पहले निभाए जाने वाले इस रस्म में एक कुंवारी कन्या को बेल के कांटों के झूले में लेटाया जाता है, जिसके बाद कन्या इस दशहरा पर्व के अन्य रस्मों को मनाने की अनुमति देती है।

बस्तर दशहरा पर्व से जुड़ी मान्यताएं

बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछनदेवी की पूजा होती है। शनिवार रात काछनदेवी के रूप में एक विशेष पनिका जनजाति परिवार की कुंवारी कन्या पीहू ने बस्तर राजपरिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी। मान्यता है कि इस महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने के लिये काछनदेवी की अनुमति आवश्यक है, जिसके लिए पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटो से बने झूले पर लिटाया जाता है और इस दौरान उसके अंदर खुद देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है। हर साल पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभा कर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है। 

नवरात्रि 2023

इस साल नवरात्रि पर्व का आरंभ 15 अक्टूबर 2023 से हो चुका है, जो कि 24 अक्टूबर तक रहेगा।  नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का व्रत रखने और माता रानी की उपासना करने घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही मन की हर मुरात पूरी होती है।

(रिपोर्टर- सिकंदर खान)

ये भी पढ़ें-

Navratri 2023: नवरात्रि की शुरुआत आखिर हुई कैसे, पढ़ें इसके पीछे की 2 पौराणिक कथाएं

Navratri 2023: अखंड ज्योति जलाने का क्या है सही नियम, दिशा का भी ध्यान रखना है बेहद जरूरी

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Festivals News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail