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Navratri 2023: आज स्कंदमाता की पूजा करते समय इन नियमों का रखें ध्यान, जानें कैसे हुई थी मां दुर्गा के इस स्वरूप की उत्पत्ति ?

शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं स्कंदमाता की पूजा में किन नियमों का ध्यान रखें और इनके स्वरूप के प्रकट होने की कथा।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Oct 18, 2023 19:38 IST, Updated : Oct 19, 2023 9:11 IST
maa skandamata
Image Source : FILE IMAGE maa skandamata

Shardiya Navratri 2023 Skand Mata: ये तो आप सभी जानते हैं कि इन दिनों नवरात्रि का पर्व चल रहा है। शारदीय नवरात्रि का यह पर्व देवी उपासकों के लिए मनोकामना पूर्ती  करने वाला पर्व माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के इस पर्व में कुछ दिन बीत चुके हैं और कुछ दिन शेष बचे हैं। नवरात्रि के प्रत्येक नौ दिन देवी मां के नौ स्वरूपों को समर्पित होता है। 19 अक्टूबर 2023 को गुरुवार के दिन शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के पांचवे रूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि का यह पांचवा दिन विशेष रूप से मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा पद्धति के अनुसार सभी देवी-देवताओं की पूजा-पाठ नियमित रूप से करनी चाहिए। शास्त्रों में मां स्कंदमाता की पूजा करने का नियम विधि पूर्वक बताया गया है। यदि इस विधि से स्कंदमाता की पूजा की जाए तो मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पल भर में पूरा कर देतीं हैं। कल शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन है आप भी जान लें स्कंदमाता की पूजा के नियम।


स्कंदमाता की पूजा के नियम

शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की पूजा करने के लिए जो नियम ध्यान रखने योग्य हैं और जो पूजा करने की विधि बताई गई है। उसमे सबसे पहले प्रातः काल उठते ही स्नान करें उसके बाद साफ कपड़े पहन लें। पूजा घर में मां की चौकी बनाएं और उस पर नया और साफ वस्त्र रखें। इसके बाद मां स्कंदमाता की प्रतिमा को वहां स्थापित करें। इसके बाद पूजा घर में गंगा जल से शुद्धिकरण करें। ऐसा करने के बाद लाल पुष्प लेकर स्कंदमाता के मंत्रो के साथ उनका आह्वान करें और मां के स्वरूप का ध्यान करें। मां को धूप, पुष्प,पान, सुपारी, बताशा एवं लौंग आदि चढ़ाएं। उसके बाद स्कंदमाता की आरती करें, आरती के बाद शंख बजाएं और जहां स्कंदमाता की प्रतिमा को स्थापित किया है, वहीं मां को दंडवत प्रणाम करें। इस तरह देवी मां की कृपा आपको शीघ्र मिलेगी और आपके घर में सुख-समृद्धि का वास होगा।

स्कंदमाता के प्रकट होने की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्कंदमाता की उत्पत्ति के पीछे तारकासुर नामक राक्षस के अंत होने से जुड़ा है। तारकासुर राक्षस का अंत केवल शिव पुत्र द्वारा ही संभव था। तारकासुर राक्षस का वद्ध करने के लिए मां पार्वित ने अपने पुत्र कार्तिकेय (जिनको स्कंद भी कहा जाता है) को दैत्य तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया। जिसके लिए मां पार्वती को स्कंदमाता का रूप लेना पड़ा। स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण लेने के बाद कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वद्ध किया।  
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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